शुक्रवार 19 सितंबर 2025 - 18:18
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले चिंता जनक / हमें आंदोलन करना होगा।मौलाना कल्बे जवाद नक़वी

हौज़ा / वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए मजलिस ए उलेमा हिंद के महासचिव और इमाम ए जुमआ मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम फैसला संतोषजनक नहीं है इसलिए हमें एक संगठित आंदोलन चलाना होगा।

हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मजलिस ए उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी ने वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का अंतरिम फैसला संतोषजनक नहीं है इसलिए हमें आंदोलन चलाना होगा।

मौलाना ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को डराया और उन पर राजनीतिक दबाव डालने की पूरी कोशिश की गई, जिसका प्रभाव इस अंतरिम फैसले पर भी देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जब सरकार के मंत्री मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उन्हें डराने लगें तो चिंता बढ़ जाती है। यही कारण है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने वक्फ कानून पर कोई फैसला नहीं दिया, अब कहीं जाकर इस मामले की सुनवाई हुई है जिस पर न्यायाधीशों को डराना और राजनीतिक दबाव साफ नजर आता है।

मौलाना ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 'वक्फ बाई यूजर' पर अभी कोई फैसला नहीं दिया है, जबकि मुसलमानों की सबसे बड़ी आपत्ति सरकार द्वारा 'वक्फ बाई यूजर' को खत्म करने पर थी, लेकिन अदालत ने इस पर चुप्पी साधते हुए वक्फ की पंजीकरण को अनिवार्य करार दिया है।

उन्होंने कहा कि अदालत ने जिन तीन धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई है वह संतोषजनक है लेकिन अभी असली लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हमारी मांग यह है कि पूरा कानून वापस लिया जाना चाहिए, एक-दो धाराओं के रद्द होने या उनमें संशोधन से कुछ नहीं होगा। आखिर मुसलमान दो सौ और चार सौ साल पुराने वक्फ के दस्तावेज कहां से लाएंगे?

मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने आगे कहा कि अदालत ने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों के प्रवेश का रास्ता भी खोल दिया है। क्या अदालत और सरकार राम मंदिर ट्रस्ट में मुसलमानों को सदस्यता दे सकती हैं? क्या अन्य धर्मों के वक्फ और ट्रस्टों में मुसलमानों को सदस्य बनाया जा सकता है?

मौलाना ने कहा कि यह कानून मुस्लिम वक्फ को हड़पने के लिए लाया गया है, इसलिए इस पूरे कानून को वापस लिया जाना चाहिए।

मौलाना ने कहा कि जितनी इमारतें पुरातत्व विभाग में हैं वे सभी सरकार के कब्जे में चली जाएंगी।उन्होंने आगे कहा कि इस कानून के खिलाफ पूरी ताकत से आंदोलन चलाना जरूरी है वरना वक्फ समाप्त कर दिए जाएंगे।

मौलाना ने आगे हुसैनाबाद ट्रस्ट में जारी भ्रष्टाचार और लगातार हो रहे कब्जों की निंदा करते हुए कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट की संपत्तियों में जारी भ्रष्टाचार और वक्फ की जमीनों पर जारी कब्जों से सरकार की मंशा को समझा जा सकता है।

पूरे हुसैनाबाद ट्रस्ट की संपत्ति पर सरकार का कब्जा है जिसकी आमदनी का कोई हिसाब-किताब नहीं है। फूल मंडी के सामने हुसैनाबाद की जमीन को सड़क में शामिल कर लिया गया है और जो बोर्ड वहां पर हुसैनाबाद की स्वामित्व का मौजूद था उसे तोड़कर नाले में डाल दिया गया।

मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि फूल मंडी से जो सड़क घंटाघर की तरफ जाती है, यह पूरी सड़क वक्फ-ए-हुसैनाबाद की है लेकिन इस पर भी कब्जा कर लिया गया है।

उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट ने वक्फ-ए-हुसैनाबाद को एक निजी ट्रस्ट बताया है और कहा है कि निजी ट्रस्ट आरटीआई (सूचना का अधिकार) के दायरे में नहीं आता, इसलिए अब तक हुसैनाबाद का कोई हिसाब-किताब नहीं दिया गया है।

मौलाना ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून की वापसी और हुसैनाबाद ट्रस्ट के संरक्षण के लिए उलेमा और संगठनों को आगे आना होगा। बहुत जल्द उलेमा और संगठनों की एक बैठक आयोजित की जाएगी ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके।

इस बैठक में सभी उलेमा और संगठनों को बिना किसी भेदभाव के सभी मतभेद भुलाकर शामिल होना चाहिए। अगर जनता एकजुटता का प्रदर्शन करे तो सरकारें उलट जाती हैं, जैसा कि बांग्लादेश और नेपाल में देखा गया है।

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