हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़्ज़ा में मानवाधिकार केंद्र ने खुलासा किया है कि इजरायली फौज ने जुमा के दोपहर से लागू युद्ध विराम के समझौते को अब तक 36 बार तोड़ा है, जिसके नतीजे में 7 फ़लस्तीनी शहीद हो गए हैं और कई ज़ख्मी हुए हैं
ग़ज़्ज़ा में मौजूद मानवाधिकार केंद्र ने बयान में कहा कि उनकी टीम ने 10 अक्तूबर 2025 से अब तक हवाई, ज़मीनी और तोपख़ाने के हमलों के साथ-साथ सीधी फ़ायरिंग के बहुत से वाक़यात दर्ज किए हैं। ये ज़्यादातर ग़ज़्ज़ा के उत्तरी और पूर्वी इलाक़ो में हुए हैं।
केंद्र के मुताबिक़, इजराइली ड्रोनो ने अश-शुजाईया मोहल्ले में अपने घरों को लौटने वाले फ़लस्तीनी नागरिकों को निशाना बनाया, जिसमें 5 लोग शहीद हुए। एक और हमला खान यूनुस के अल-फ़ख़ारी इलाके में हुआ, जिसमें एक शख़्स शहीद और दूसरा ज़ख़्मी हुआ, जबकि जबालिया और रफ़ह में भी कई ज़ख़्मियों की ख़बरें मिली हैं।
बयान में कहा गया कि ये तमाम हमले किसी भी फ़ौजी वजह या ज्वाज़ के बग़ैर किए गए, जिससे ज़ाहिर होता है कि सिहयोनी हुकूमत ग़ज़ा में डर और दहशत का माहौल बनाए रखने की नीति पर अमल कर रही है।
मरकज़ ने तन्बीह की कि खाने-पीने की चीज़ों, पानी और दवाओं तक रसाई में रुकावट पैदा करना और इंसानी मदद को रोकना, नस्लकुशी (जनसंहार) के जुर्म की एक लगातार शक्ल है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवता के क़ानूनों की साफ़ उल्लंघन है।
ग़ज़ा में मानवाधिकार केंद्र ने आलमी बिरादरी (अंतरराष्ट्रीय समुदाय) से मांग की है कि वह अपनी क़ानूनी और अख़लाक़ी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करे, सिहयोनी हुकूमत को जंगबंदी की शर्तों पर अमल करने का पाबंद बनाए, और ग़ज़ा में जारी जंग-जुरम और इज्तिमाई क़त्ल-ए-आम (सामूहिक हत्या) की फौरन तहक़ीकात शुरू करे।
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