۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
ग़ाज़ा

हौज़ा/संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ फ्रांसेस्का अल्बानिस ने शनिवार को चेतावनी दी कि गाजा के फिलिस्तीनी क्षेत्र में नागरिकों को अब बड़े पैमाने पर नरसंहार का गंभीर खतरा हैं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए तत्काल कार्यान्वयन की अपील की हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ फ़्रांसेस्का अलबानीज़ ने शनिवार को आगाह करते हुए कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में नागरिक आबादी अब सामूहिक नस्लीय सफ़ाए के गंभीर ख़तरे का सामना कर रही है उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से तुरंत युद्धविराम लागू करवाने की अपील की हैं।

इस्राईल द्वारा फ़िलिस्तीनियों पर किए जाने वाले हमलों और अत्याचारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टर फ़्रांसेस्का अलबानीज़ ने शनिवार को जारी एक प्रैस वक्तव्य में कहा है, अवैध अधिकृत फ़लस्तीनी क्षेत्र में स्थिति बहुत गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। 

उन्होंने कहा है संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य देशों को युद्धरत पक्षों के मध्य एक युद्धविराम लागू करवाने के लिए, अपने प्रयास सघन करने होंगे, इससे पहले कि हम सभी एक ऐसी स्थिति पर पहुंच जाएं जहां से वापसी संभव ना हो सके।

राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर ने कहा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय पर यह ज़िम्मेदारी है कि वह आम आबादी को अत्याचार अपराधों से संरक्षित करे। इस्राईल द्वारा लगातार निशाना बनाए जा रहे आम नागरिकों विशेषकर बच्चों और महिलाओं की जवाबदही तत्काल निर्धारित की जानी होगी,

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने भी हाल ही में एक बयान जारी करके कहा है कि ग़ाज़ा में जो हो रहा है वह मानवात को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं हैं।

एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह बिल्कुल हाल की घटना शून्यता से नहीं भड़क उठी है, वास्तविक्ता यह है कि यह हिंसा एक दीर्घकालीन टकराव, 56 वर्ष के क़ब्ज़े और इसके एक राजनैतिक अंत की आशा के आभाव से निकली है।

अब समय आ गया है कि इस रक्तपात, नफ़रत और धुर्वीकरण को रोका जाए। बता दें कि इसस पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ की प्रैस विज्ञप्ति में यह कहा जा चुका है कि फ़लस्तीनियों के पास, ग़ाज़ा में कहीं भी सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है क्योंकि इस्राईल ने छोटे से ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र की पूर्ण नाकाबन्दी कर दी है।

 जिसमें पानी, भोजन, ईंधन और बिजली की आपूर्ति को, ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से काट दिया गया हैं।

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