हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " आमाली शेख़ सद्क,,पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول اللہ صلی اللہ عليه وآله
مَن عَفا عَن مَظلِمَةٍ أبدَلَهُ اللّه ُ بِها عِزّا في الدّنيا و الآخرة.
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
जो व्यक्ति अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्म और सितम से दरगुज़र (माफ़) कर देता है तो अल्लाह तआला उसे इसके बदले में दुनिया और आखिरत दोनों में इज़्ज़त और सम्मान देता है।
आमाली शेख़ सद्क,भाग 182,हदीस नं 306
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