हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "आमाली मुफ़ीद" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال أمیر المؤمنین علی علیه السلام
العامِلُ عَلى غَيرِ بَصيرَةٍ كالسّائرِ عَلى سَرابٍ بِقِيعَةٍ، لا تَزيدُهُ سُرعَةُ سَيرِهِ إلاّ بُعدا؛
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
जो आदमी बगैर सूझबूझ(मारफत) के कोई काम अंजाम देता है वह उस आदमी की तरह है जो रेगिस्तान में मृगतृष्णा (सराब)का पीछा करता है जितनी तेज़ी से वह उसकी ओर बढ़ता है, उतना ही वह उससे दूर होता जाता हैं।
आमाली मुफ़ीद,पेज 42,हदीस नं 11
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