हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,ज़्यादातर गुमराहियां जो पायी जाती हैं या तो उन गुनाहों की वजह से हैं जो हम करते हैं या फिर उन बुरी आदतों की वजह से हैं जिनके हम शिकार हैं। गुनाह का अंजाम गुमराही है मगर यह कि तौबा का प्रकाश इंसान के मन को जगमगा दे।
क़ुरआन में भी इस बात की तरफ़ इशारा किया गया है,अल्लाह जिसको हिदायत देता है, उसे कोई गुमराह नहीं कर सकता, और जिसे वह गुमराही में छोड़ दे, उसे कोई राह नहीं दिखा सकता।
(सूरह अल-आ'राफ़ 7:186)
बुरी आदतें ज़्यादातर अतीत के गुनाहों का नतीजा हैं जो इंसान को गुमराही में डाल देती हैं। अगर शोहरत की इच्छा, ओहदे की इच्छा, पैसे का मोह हमको किसी हक़ीक़त को क़ुबूल करने से मना करे तो यही वह हालत है कि इंसान को यह समझ लेना चाहिए कि गुमराह करने वाली ख़तरनाक आदतें हमारे वजूद में घर बना चुकी हैं।
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