हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
लेखकः शौकत भारती
1400 साल पहले आलेमीन के लिए रहमत बन कर आने वाले रसूल ने इंसानों को पेड़ लगाने और पानी को संभाल कर खर्च करने की हिदायत की थी..रसूल अल्लाह ने कहा था की पेड़ लगाओ जब तक पेड़ की हवा में लोग सांस लेंगे,पेड़ की छांव में बैठेंगे,पेड़ के फलों का पत्तियों का या लकड़ियों का इस्तेमाल करेंगे सूख जाने के बाद जलाएंगे और जलने के बाद उसकी राख को इस्तेमाल करेंगे तुम्हे सवाब मिलता रहेगा।
ये थी रसूल अल्लाह की इंसानों की फलाह और बहबूद के लिए प्लांटेशन की वो नायब स्कीम जिस पर अमल कर के न सिर्फ इनवायरमेंट ही सही रहता बल्कि टेंप्रेचर भी कंट्रोल में रहता, पानी की प्रोब्लम नही होती वाटर लेबल नहीं गिरता और अनाज और फलों की पैदावार भी बढ़ती रहती जिसकी वजह महंगाई भी कंट्रोल में रहती और वो ग्रीन और ड्राई फ्रूट जो गरीबों की पहुंच से बाहर हो चुके है गरीब से गरीब इंसान की पहुंच के बाहर न होते और वो परिंदे जो अपने आशियाने पेड़ों पर बनाते हैं और प्लांटेशन में बहुत मददगार होते हैं उनकी तादाद भी न घटती याद रखिए परिंदे जिन फलों को खाते हैं उन फलों के बीज परिंदों के बीट के ज़रिए ऐसी मुश्किल जगह तक पहुंच जाते हैं जहां इंसान का पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है और उनके बीट के ज़रिए जो बीज दूर दूर तक फैल जाता है उससे भी प्लांटेशन में बहुत मदद मिलती है,पेड़ों की कमी की वजह से परिंदों का आशियाना भी खत्म हो रहा है और उनकी तादाद भी तेज़ी से घट रही है।
आज जो हम तेज़ी से बढ़ रहे टेंप्रेचर की वजह से तपती हुई गर्मी में जल रहे हैं और हाय गर्मी,हाय गर्मी कर रहे हैं,या महंगाई बढ़ने की वजह से हाय महंगाई,हाय महंगाई कर रहे हैं अगर हम सब लोगों ने रसूल अल्लाह की हिदयात को अपनाते हुए प्लांटेशन किया होता तो हमें ये दिन कभी देखने को न मिलते। मौला अली ने भी प्लांटेशन और खेती पर बहुत ज़ोर दिया है और कहा है की वो शख्स जिसके पास ज़मीन हो और पानी का इंतजाम हो और वो इसका इस्तेमाल कर के फायदा न उठाए और ये कहे की वो परेशान है तो ऐसा शख्स बदनसीब है मौला अली ने अपने गवर्नर मालिके अश्तर को जो खत लिखा उसमे भी किसानों को हर तरह की सहूलियतें देने का और उनका ख्याल रखने का हुक्म मौजूद है,इतना ही नहीं खुद मौला अली अपने कंधों पर गुठलियां लाद कर सहरा में निकल जाते थे और खाली ज़मीनों पर प्लांटेशन करते थे खजूरों के बागात लगाते थे मौला अली आम रास्तों पर भी पेड़ लगाते थे और कुएं खोद कर उसे अवाम के इस्तेमाल के लिए वक्फ कर देते थे ताकि परिंदों को पेड़ों पर बसेरा करने और मुसाफिरों को पेड़ की छांव में आराम करने में और पानी हासिल करने में किसी तरह की दुशवारी न हो,कुछ लोगों ने हजरत अली से कहा आप तो बूढ़े हो गए हैं और आप ये बाग लगा रहे हैं जब तक इस बाग के पेड़ फल देंगे आप दुनिया में नहीं रहेंगे,उन्होंने जवाब दिया मैं आने वाली नस्लों और अल्लाह की मखलूक के लिए ये इंतजाम कर रहा हूं,काश दुनिया वाले इस्लाम और मोहमद साहब के दुश्मन न होते और रसूल अल्लाह की बातों पर अमल करते हुए ज़ोर शोर से प्लांटशन कर रहे होते पानी बर्बाद न करते बल्की पानी की हिफाज़त कर रहे होते पेड़ों की हिफाज़त कर रहे होते और खुद मुस्लमान जो रसूल अल्लाह का कलमा पढ़ रहे हैं वो खुद रसूल अल्लाह के प्लांटेशन करने और पानी की हिफाज़त करने के मिशन को दुनिया में आम करके रसूल अल्लाह की सीरत पर अमल करने वाला साबित कर देता तो आज जो हम सब लोग इस तपती हुई गर्मी में हाय गर्मी हाय गर्मी और हाय महंगाई और हाय महंगाई कर रहे हैं वो न कर रहे होते और गर्मी से बचने के लिए बिजली का जो न बर्दाशत किया जाने वाला बिजली बिल आता है उसे देख कर गश खा कर न गिर रहे होते। खैर जो बीत गया उसे छोड़िए अब से इसी बरसात से प्लांटेशन शुरू कर दीजिए जहां जहां जहां प्लांटेशन हो सकता है वहां वहां पर बढ़ चढ़ कर प्लांटेशन कीजिए और और पानी जैसी अनमोल नेमत की भी बहुत हिफाजत कीजिए।