मंगलवार 28 अक्तूबर 2025 - 06:35
अवाम और ज़ायरीन की ख़िदमत एक अहम और बुनियादी फ़र्ज़ है

हौज़ा / हौज़ा‑ए‑इल्मिया  के प्रमुख  आयतुल्लाह  अली  रज़ा  आराफ़ी  ने  क़ुम  के  अवाम  और  ज़ायरीन  की  ख़िदमत  को  एक  महत्वपूर्ण  और  बुनियादी  फ़र्ज़  क़रार  देते  हुए  कहा  कि  शहर‑ए‑क़ु म की  हैसियत  और  इसका  मुक़ाम  बे‑मिसाल  है  और  यहाँ  अंजाम  पाने  वाली  हर  ख़िदमत  उसकी  अज़मत  के  लायक  होनी  चाहिए।

हौज़ा  न्यूज़  एजेंसी  की  रिपोर्ट  के अनुसार,  क़ुम  के  मेयर  फ़रामर्ज़  अज़ीमी  अपने  सहयोगियों  के साथ हौज़ा‑ए‑इल्मिया  के प्रमुख आयतुल्लाह  अली  रज़ा  आराफी  से  मुलाक़ात  और  गुफ़्तगू  के  लिए  पहुँचे।

मुलाक़ात  के  आग़ाज़  में  आयतुल्लाह आराफी  ने  बल दिया (नगरपालिका) की  ख़िदमात  की  सराहना  करते  हुए  शहर‑ए‑मुक़द्दस  क़ुम  की  अहमियत  और  यहाँ  अवाम  और  ज़ायरीन  के  लिए  बेहतर  और  प्रभावी  ख़िदमात  की  ज़रूरत  पर  रौशनी  डाली।

आयतुल्लाह  आपाफी  ने  क़ुम  की  ख़िदमत  को  इस्लाम,  मक़तबह‑ए‑तशय्यु  और  हज़रत  फ़ातिमा  मासूमा (स)  की ख़िदमत  करार  देते  हुए  कहा  कि  क़ुम  का  मक़ाम  व  मंज़िलत  मुनफ़रिद (अद्वितीय)  है,  इसलिए  यहाँ  की  हर  ख़िदमत  उस  अज़मत  के  मुताबिक़  होनी  चाहिए। मजलिस‑ए‑ख़ुबरगान‑ए‑रहबरी के  इस  सदस्य ने  शहर  के  विकास  परियोजनाओं  को  ज़ायरीन  और  मक़ामी  अवाम  की बुनियादी  ज़रूरत  बताया।

 उन्होंने  कहा  कि  हालाँकि  क़ुम  की  बलदिया  हज़रत  हरम  के  आस पास  के  इलाक़ों  में  काफ़ी  बेहतर  सेवाएँ  दे  रही  है,  मगर  अब  भी  बहुत  से  ज़ायरीन  और  तुल्लाब (छात्र) हरम  के  आस पास  तंगी  ए  जगह  की  वजह  से  मुशकिलात  का  सामना  करते  हैं,  जिसके लिए  ज़्यादा  संगीन  और  वसी अ क़दमों  की  ज़रूरत  है। आयतुल्लाह आराफी  ने  अंत  में  हौज़ा  ए  इल्मिया  की  जानिब  से  क़ुम  म्यूनिसिपल  कमेटी  के  साथ  ज़्यादा सहयोग का  एलान  किया।

 उन्होंने  कहा  कि  हौज़ा  ए  इल्मिया  शहर  के  मसाइल  और  अवाम  की ज़रूरतों  के  हल  में  शरीक  होने  को  तैयार  है  क्योंकि  हम  अवाम  की  ख़िदमत  को  अपना  दिनी  फ़र्ज़  समझते  हैं।

शहर‑ए‑क़ुम  के  मेयर  फ़रामर्ज़  अज़ीमी  ने  भी  अपनी  गुफ़्तगू  में  कहा  कि  क़ुम  एक  ज़ियारती  और  सियाहती (पर्यटन)  शहर  है, इसलिए  इसकी  शहरी  मंसूबाबंदी  (योजना)  में  सिर्फ़  गाड़ियों  या  रफ़्तार  को  मापदंड  नहीं  बनाया  जा  सकता।

 नए  शहरी  प्लानों  में  कोशिश  की  गई  है  कि  रास्ते  और   अंडरपास  ऐसे  तरतीब  दिये  जाएँ  कि ज़ायरीन  को  सुकून, अमन और पैदल  चलने  की  बेहतर  सुविधा  मिले  और  शहर  की  ज़ियारती महक  क़ायम  रहे।

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