सोमवार 8 दिसंबर 2025 - 14:11
इमाम ख़ुमैनी र.ह.ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में बसीज तुलबा के गठन का आदेश क्यों दिया?

हौज़ा / क़ुम में बसीज तुलबा व रूहानीत के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम मेंहदी जोशक़ानीयान ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा है कि इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने अपने पवित्र जीवन के अंतिम दिनों में खतरों को देखते हुए धार्मिक छात्रों और विश्वविद्यालय के छात्रों की संगठित धार्मिक एवं बौद्धिक शक्ति खड़ी करने के लिए बसीज-ए तुलबा के गठन का ऐतिहासिक आदेश जारी किया था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क़ुम में बसीज तुलबा व रूहानीत के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम मेंहदी जोशक़ानीयान ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा है कि इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने अपने पवित्र जीवन के अंतिम दिनों में खतरों को देखते हुए धार्मिक छात्रों और विश्वविद्यालय के छात्रों की संगठित धार्मिक एवं बौद्धिक शक्ति खड़ी करने के लिए बसीज-ए तुलबा के गठन का ऐतिहासिक आदेश जारी किया था।

हुज्जतुल इस्लाम मेंहदी जोशक़ानियान ने बताया कि क़ुम में बसीज तुलबा व रूहानियून एक संगठित और सक्रिय नेटवर्क के रूप में मौजूद है, जिसके तहत 11 हौज़ा-ए मुक़ाविमत और 115 केंद्र काम कर रहे हैं, जो दीन की तब्लीग  सामाजिक सेवाओं और क्रांति के लक्ष्यों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

इमाम ख़ुमैनी र.ह.ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में बसीज तुलबा के गठन का आदेश क्यों दिया?

उन्होंने स्पष्ट किया कि इमाम ख़ुमैनी (रह) ने युद्ध के बाद उत्पन्न होने वाले नए बौद्धिक एवं सांस्कृतिक खतरों का आकलन करते हुए धार्मिक छात्रों और विश्वविद्यालय के छात्रों को बसीज के रूप में संगठित करने का फैसला किया, ताकि "सॉफ्ट वॉर" और बौद्धिक आक्रमण का प्रभावी जवाब दिया जा सके।

उनके अनुसार, आज के दौर में बसीज तुलबा का मूल कार्य हौज़ा-ए इल्मिया  की क्रांतिकारी भावना की रक्षा, नई पीढ़ी की बौद्धिक शिक्षा और वैज्ञानिक व मीडिया के क्षेत्र में प्रभावी उपस्थिति सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि छात्रों का संगठित प्रशिक्षण, सामूहिक अनुशासन और निरंतर मेहनत ही इस आंदोलन की सफलता की गारंटी है।

हुज्जतुल इस्लाम जोशक़ानियान ने आगे कहा कि विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक केंद्रों और डिजिटल दुनिया में छात्रों की उपस्थिति नई क्रांतिकारी, लक्ष्य-उन्मुख और सेवाभावी पीढ़ी के निर्माण में मूलभूत भूमिका निभा रही है, जो धर्म और समाज के लिए एक मजबूत बौद्धिक ढाल साबित हो सकती है।

उन्होंने इस संकल्प की पुनरावृत्ति की है बसीज तुलबा व रूहानियून क़ुम, आने वाले दिनों में भी प्रचार, बौद्धिक रक्षा और जनसेवा के क्षेत्र में अपनी गतिविधियां पूरी शक्ति से जारी रखेगा।

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