रविवार 14 दिसंबर 2025 - 06:12
हज़रत अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम की नज़र में इसराफ की निंदा

हौज़ा / हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में इसराफ (फज़ूल खर्ची) की निंदा की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

:قال امیر المؤمنین علیہ السلام

«ذَرِ السَّرَفَ فَإِنَّ الْمُسْرِفَ لا يُحْمَدُ جُودُهُ وَلا يُرْحَمُ فَقْرُهُ.»

हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:

इसराफ और फिजूलखर्ची को छोड़ दो, क्योंकि इसराफ करने वाले की सखावत प्रशंसनीय नहीं होती और उसकी तंगहाली पर भी दया नहीं की जाती।

बिहारूल अनवार,भाग 50,पेंज 292

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