हज़रत इमाम सज्जादअलैहिस्सलाम
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कसरते इबादत; फरिश्तों की कतार में शामिल होने का सूत्रधारः मौलाना सैयद जाहिद हुसैन
हौज़ा / भारत के अलीगढ़ में मौलाना सैयद जाहिद हुसैन ने इबादत के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि कसरते इबादत; यह फरिश्तो की श्रेणी में शामिल होने का साधन है।
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हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत इमाम अली इब्नुल हुसैन अलैहिस्सलाम के कई उपनाम थे जिनमें सज्जाद, सैयदुस्साजेदीन और ज़ैनुल आबेदीन प्रमुख हैं इनकी इमामत का दौर कर्बला की घटना और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद शुरू हुआ। इस काल की ध्यान योग्य विशेषताएं हैं। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने इस काल में अत्यंत अहम और निर्णायक भूमिका निभाई। कर्बला की घटना के समय उनकी उम्र 24 साल थी और इस घटना के बाद वे 34 साल तक जीवित रहे। इस अवधि में उन्होंने इस्लामी समाज के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी संभाली और विभिन्न मार्गों से अत्याचार व अज्ञानता के प्रतीकों से मुक़ाबला किया।
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दिन की हदीस:
ऐसा शाहिद जिसके मुकाम पर खुद शोहदा भी नाज़ करते हैं।
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की अज़मत को बयान फरमाया हैं।
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दिन की हदीस:
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पर आंसू बहाने का सवाब
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पर आंसू बहाने के सवाब की ओर इशारा किया हैं।
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दिन की हदीस:
लोगों में से बेहतरीन कौन?
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में लोगों में से बेहतरीन आदमी की पहचान कराई हैं।
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दिन की हदीस:
हज़रत इमाम सज्जाद अ.स.के लिए आश्चर्यजनक कार्य
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में कुछ लोगो के आमाल पर आश्चर्य का इज़हार किया है।
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दिन की हदीस:
गुनाह करके उस पर खुश होना
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में गुनाह करने के बाद उस पर खुश होने के अंजाम की ओर इशारा किया हैं।
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हज़रत इमाम अली इब्नुल हुसैन ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के जन्मदिन पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा/हज़रत इमाम अली इब्नुल हुसैन ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम का जन्म 5 शाबान सन 38 हिजरी क़मरी को मदीने में हुआ। आपने ख़ुदा की कृपा से पिता इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जैसी हस्ती की छत्रछाया में अपने व्यक्तित्व को नैतिक गुणों से सुशोभित किया।
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इस्लामी कैलेंडर:
5 शाबान अल मोअज़्ज़म 1445 - 15 फ़रवरी 2024
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडर 5 शाबान अल मोअज़्ज़म 1445 - 15 फ़रवरी 2024
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हरम ए हज़रत मसूमा स.ल.कुम अलमुसद्देसा में हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के जन्मदिन के अवसर पर जश्न का आयोजन/फोंटों
हौज़ा/कुम अलमुसद्देसा में हरम ए हज़रत मसूमा स.ल.में हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के जन्मदिन के अवसर पर जश्न का आयोजन किया गया इस मौके पर बड़ी संख्या में मोमिनीन उपस्थित हुए
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दिन की हदीस:
हज़रत इमाम सज्जाद अ. की नज़र में मोमिन का स्थान
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद अ ने एक रिवायत में मोमिन की विशेषता बयान की हैं।
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दिन की हदीस:
ऐसा शहीद जिसके रुतबे पर शोहदा फक्र करेंगें
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम के अज़मत को बयान फरमाया हैं।
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दिन की हदीसः
एक बेहतर इंसान कैसे बनें?
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने एक रिवायत में सर्वश्रेष्ठ इंसान बनने का रास्ता बताया है।
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हज़रत इमाम सज्जाद अ.स. का ख़ुत्बा यज़ीद के दरबार में
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का अहम खुतबा यज़ीदी दरबार में जो आपने फरमाया इल्म, हिल्म, सख़ावत,फ़साहत, बहादुरी, लोगों के दिलों में हमारी मोहब्बत, और हमारी फ़ज़ीलत यह है कि हमारे जद पैग़म्बर स.अ. और उम्मत के सबसे सच्चे इमाम अली अ.स. हमारे दादा हैं, जाफ़र तय्यार और हमज़ा हम में से हैं, शेरे ख़ुदा, शेरे रसूले ख़ुदा और हसन व हुसैन अ.स. हम में से हैं
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इमाम सज्जाद अ.स.की पहचान अल्लाह की इबादत करने वालों के सरदार के रूप में होती है।मौलाना मोहम्मद रज़ा खां रन्नवी
हौज़ा/मौलाना मोहम्मद रज़ा खां रन्नवी ने कहा कि इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ.स. को सारी दुनिया उनके असली नाम अली इब्ने हुसैन की जगह उनके लक़्ब ज़ैनुल आब्दीन, सैय्यदुस साजेदीन से जानती है, क्योंकि वह अपनी इबादत की वजह से तमाम इबादत गुज़ारों के सरदार कहलाए
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:दिन कि हदीस
ऐसी ख़ुशी से दूर रहो!
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में ऐसी ख़ुशी की ओर इशारा किया हैं की जो खुद गुनाह को अंजाम देने से ज़्यादा बड़ी और बुरी हैं।
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हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा/हज़रत इमाम अली इब्नुल हुसैन ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के कई नाम थे जिनमें सज्जाद, सैयदुस्साजेदीन और ज़ैनुल आबेदीन प्रमुख हैं आप की इमामत का काल कर्बला की घटना और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद शुरू हुआ इस काल की ध्यान योग्य विशेषताएं हैं। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने इस काल में अत्यंत अहम और निर्णायक भूमिका निभाई। करबला की घटना के समय उनकी उम्र 24 साल थी और इस घटना के बाद वे 34 साल तक जीवित रहे इस अवधि में उन्होंने इस्लामी समाज के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी संभाली और विभिन्न मार्गों से अत्याचार व अज्ञानता के प्रतीकों से मुक़ाबला किया।
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दिन की हदीसः
इमाम सज्जाद (अ) का कुछ लोगों पर आश्चर्य
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने एक रिवायत में कुछ लोगों की हरकतों पर हैरानी जताई है।
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:दिन कि हदीस
सबसे बड़ी मुसीबत
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत को बड़ी मुसीबत शुमार किए हैं।
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:दिन कि हदीस
बेहतरीन इंसान
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में बेहतरीन इंसान की पहचान कराई हैं।
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हज़रत इमाम सज्जाद अ.स.कि झूठ से दूरी पर ताकीद
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में झूठ से दूरी के बारे में नसीहत की हैं।
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:दिन कि हदीस
अच्छी वाणी के सुन्दर फल
हौज़ा/हज़रत इमाम सैय्यद सज्जाद अ.स ने एक रिवायत में अच्छी और पसंदीदा बात करने के 5 फायदे की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
अच्छी बातों के पाँच फायदे
हौज़ा/हज़रत इमाम सैय्यद सज्जाद अ.स ने एक रिवायत में अच्छी और पसंदीदा बात करने के 5 फायदे की ओर इशारा किया हैं।
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दिन की हदीसः
मोमेनीन की दुआओ का परिणाम
हौज़ा / हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) ने एक रिवायत मे मोमेनीन की दुआओ के परिणाम का संकेत दिया है।
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हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की शहदत पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम कर्बला की घटना के समय उनकी उम्र 24 साल थी कर्बला के वाकया के बाद इस अवधि में उन्होंने इस्लामी समाज के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी संभाली और विभिन्न मार्गों से अत्याचार व अज्ञानता के प्रतीकों से मुक़ाबला किया।
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:दिन कि हदीस
अल्लाह तआला आंसूओं को पसंद करता है।
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में अल्लाह तआला को पसंद दो कतरों आंसूओं की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
औरतों का अधिकार और उनका सम्मान
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में औरतों के अधिकार और उनके सम्मान की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
हज़रत इमाम सज्जाद अ.स.ने कुछ लोगों के अमल पर ताज्जुब किया हैं।
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में कुछ लोगों के अमल पर ताज्जुब किया हैं।
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:इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई:
इन्सान के ज़ख़्मों को भरने वाली दवाएं
हौज़ा/इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,सहीफ़ए सज्जादिया की बीसवीं दुआ है, बहुत ज़्यादा पढ़ें ताकि आप यह देख सकें कि इस दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन अ.स. ने ख़ुदा से जो चीज़ें मांगी हैं वह क्या हैं?
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:दिन की हदीस
हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की बात में आईम्मा मासूमीन अ.स.की पहचान
हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में आईम्मा मासूमीन अ.स.की पहचान कराई हैं।