हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अरबईन, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और जनसभा कार्यक्रम, आज एक धार्मिक अनुष्ठान से आगे बढ़कर नरम शक्ति, सामूहिक पहचान और इस्लामी समुदाय की एकजुटता दिखाने का मंच बन गया है।
हुसैनी अर्बईन एक ऐसा आयोजन है जिसमें शिया और सुन्नी एक साथ, अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध, विशेष रूप से ग़ाज़ा के लोगों के समर्थन और इस्लामी उम्मत की एकता का संदेश दुनिया तक पहुँचाते हैं।
ईरान के कुर्दिस्तान और सिस्तान-बलुचिस्तान में सुन्नी समुदाय के मौक़िब से लेकर नाइजीरिया और पाकिस्तान के विद्वानों की कर्बला में उपस्थिति तक अर्बईन दिलों के बंधन, दुश्मनों के खिलाफ निवारक शक्ति और आशूरा की क्रांति की निरंतरता का स्पष्ट उदाहरण है।
अरबईन: नरम शक्ति और सामूहिक पहचान का मंच:
मिलियन मार्च या लोगों की महान पैदल यात्रा न केवल धार्मिक पहलू रखती है, बल्कि इसके भू-राजनीतिक और सांस्कृतिक परिणाम भी हैं। इस आयोजन ने शिया समुदाय की शक्ति को बढ़ाया, दुश्मनों के नकारात्मक प्रचार को बेअसर किया और मुसलमानों में प्रतिरोध और अन्याय विरोध की पहचान को मजबूत किया।
इस साल सुन्नी धर्मगुरुओं और इस्लामी दुनिया के विद्वानों ने जोर देकर कहा कि अर्बईन का मुख्य संदेश मुसलमानों की एकता और ग़ाज़ा के सताए गए लोगों का समर्थन है। शिया और सुन्नी की साझा उपस्थिति ने इस्लामी उम्मत की वैश्विक एकजुटता का संदेश दिया।
इस साल पश्चिमी ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में अर्बईन एक अद्वितीय धार्मिक और सामाजिक एकता और जिहादी सेवा का मंच बना; यह न केवल ईरान की स्थायी सुरक्षा को दर्शाता है, बल्कि एकता और प्रतिरोध का संदेश पूरी दुनिया में फैलाता है।
कुर्दिस्तान में अर्बईन के सेवक मानते हैं कि अर्बईन यात्रा केवल एक आध्यात्मिक गतिविधि नहीं है, बल्कि देश की स्थायी सुरक्षा को मजबूत करने का एक साधन भी है। इस प्रांत में 76 मौक़िब या टेंट की स्थापना ने दिखाया कि दुश्मन लोगों की वास्तविक एकता को प्रभावित नहीं कर सकते।
कुर्दिस्तान में मेज़बानी का सबसे बड़ा हिस्सा सुन्नी भाइयों के कंधों पर था ऐसे मौक़िब जिन्हें प्रेम और ईमानदारी के साथ संचालित किया गया और जिन्होंने शिया और सुन्नी की शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की स्पष्ट छवि दुनिया के सामने प्रस्तुत की।
पूर्वी ईरान में, शिया और सुन्नी की एकता आतंकवादी समूहों की साजिशों के खिलाफ़ एक मजबूत क़िला रही है। सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत के दोनों संप्रदायों के धर्मगुरुओं ने ज़ोर देकर कहा कि सुरक्षा ईरानी जनता की सीमा रेखा है और इसका उल्लंघन दुश्मनों के खेल में शामिल होना होगा। इसी संदर्भ में ईरानशहर के शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं ने प्रांत में हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की और बताया कि विद्वानों और धर्मगुरुओं की जागरूकता बढ़ाने वाली भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एकता देश की सुरक्षा और शांति के खिलाफ दुश्मनों के मुकाबले सबसे महत्वपूर्ण हथियार है।
एक नाइजीरियाई विद्वान ने इस साल कर्बला में अर्बईन मार्च के दौरान कहा कि यह करोड़ों लोगों की महासभा इस्लामी उम्मत की एकता और ग़ाज़ा के सताए गए लोगों की मदद का संदेश देती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इमाम हुसैन (अ.) सभी मुसलमानों का साझा पूंजी हैं।
नाइजीरिया के जज और विद्वान आदम ब्लू, जिन्होंने दूसरी बार अर्बईन में भाग लिया, ने कहा कि इस विशाल महारैली का सबसे महत्वपूर्ण संदेश मुसलमानों की एकता और फ़िलिस्तीन का समर्थन है। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन (अ.) सभी मुसलमानों के हैं, चाहे शिया हों या सुन्नी, और अर्बईन का संदेश वैश्विक और धार्मिक सीमाओं से परे है।
पाकिस्तानी धर्मगुरु ने सिंध प्रांत में मोहर्रम के शोक समारोह में अर्बईन हुसैनी को अन्याय के खिलाफ़ प्रतिरोध और इस्लामी उम्मत की एकजुटता का वैश्विक प्रतीक बताया और ज़ोर दिया कि यह आंदोलन आशूरा की निरंतरता और दुनिया भर में मुसलमानों की एकता का झंडा है।
पाकिस्तान की मुस्लिम यूनिटी काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य हुज्जतुल इस्लाम मकसूद अली डोमकी ने कहा कि अर्बइन केवल एक धार्मिक त्योहार व महारैली नहीं है, बल्कि हुसैनी प्रतीकों के सम्मान में दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन है जो यजीदी ताक़तों को क्रोधित करता है और अहले बैत (अ.) के प्रेमियों को उत्साहित करता है।
इस पाकिस्तानी विद्वान ने अर्बईन की कुरआनी और ऐतिहासिक जड़ों का हवाला देते हुए कहा कि यह परंपरा इमाम सज्जाद (अ.) और हज़रत ज़ैनब (स.) के समय से शुरू हुई थी और आज करोड़ों लोग दुनिया भर से कर्बला में उपस्थित होकर ईश्वर और अहले बैत (अ.) के प्रति अपने प्रेम की घोषणा करते हैं।
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