हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीकी देश मलावी में मानवता के उद्धारकर्ता, हज़रत वली अस्र, महदी मोऊद (अ.त.फ.श.) के जन्मदिन के शुभ अवसर पर एक गरिमापूर्ण उत्सव मनाया गया। जिसमे मस्जिदों के शिया उपदेशकों और विद्वानों के अलावा इस देश के अहलेबैतत (अ.स.) के शियाओं की एक बड़ी संख्या ने भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, इस देश के एक प्रसिद्ध उपदेशक ने ग़ैयबत के जमाने मे इमाम की प्रतीक्षा करने वालो के उत्तरदायित्वों की व्याख्या करते हुए कहा कि तज़किय-ए नफ़्स और खुलूसे नियत मुनजि-ए आलम-ए बशरियत (अ.त.फ.श.) के ज़हूर के लिए जरूरी है।
ज्ञात हो कि मलावी गणराज्य पूर्वी अफ्रीका में स्थित है। इसकी 5 मिलियन आबादी का आधा हिस्सा शाफेई सुन्नी संप्रदाय है। हालाकि अहलेबेत (अ.स.) के शिया इस देश में अल्पमत में हैं, लेकिन वे राजनीतिक और सामाजिक रूप से बहुत मजबूत हैं।
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