۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
लियाकत मंज़ूर

हौजा / रमजानुस मुबारक हमे अपने गरीब, बेसहारा, नादार, मुफलिस, फाका कश, तंग दस्त मुस्लिम भाई जिनके पास इतनी ताकत नही है कि वो कपड़े और खाद्य सामाग्री खरीद कर अपना और अपने बच्चों का शरीर ढाक सकें और उनका पेट पाल सकें। उनकी जरूरतो का ख्याल रखने की शिक्षा देता है।

हौजा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उर्वतुल-वुस्का वेलफेयर ट्रस्ट जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष, श्री सैयद लियाकत मंज़ूर मौसवी ने एक बयान में कहा कि रमजान मुस्लिम उम्माह के लिए एक ही संदेश लाता है कि हम जहां भी हैं, एक दूसरे के लिए दया और करूणा का पात्र बन जाए। दूसरों की जरूरतों को उसी तरह महसूस करें जिस तरह से आप अपनी जरूरतों को महसूस करते हैं। दुर्भाग्य से, ऐसे कई धनी लोग हैं जो अपने रोजे ठंडे कार्यालयों, वातानुकूलित घरों और कारों में बिताते हैं, और शाम को वे कई प्रकार के भोजन, रंग बिरंगे फलों और विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थों के साथ दस्तरख्वान पर बैठते हैं। और गलियो मे बैठे मुफलिस, गरीब, नादार अपने भाइयों की जरूरतों का एहसास नही करते।

यह बहुत संभव है कि हमारे पड़ोस में कोई खाली पेट पानी के घूंट के साथ रोजा रख रहा हो और शाम को इफ्तार के समय खाने के लिए किसी का हाथ देख रहा हो, इसलिए रमजानुस मुबारक हमे अपने गरीब, बेसहारा, नादार, मुफलिस, फाका कश, तंग दस्त मुस्लिम भाई जिनके पास इतनी ताकत नही है कि वो कपड़े और खाद्य सामाग्री खरीद कर अपना और अपने बच्चों का शरीर ढाक सकें और उनका पेट पाल सकें। उनकी जरूरतो का ख्याल रखने की शिक्षा देता है।

साथ ही, रमज़ान का महीना हमें कई सामाजिक और आध्यात्मिक बीमारियों जैसे पाखंड, पिछड़ापन, निंदा, धोखा, नफरत और ईर्ष्या और झूठ से खुद को बचाने की भी शिक्षा देता है।

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