۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
مولانا سید صفی حیدر

हौज़ा/तंज़ीमुल मकातिब के सेक्रेटरी ने अपने एक बयान में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस वक्त पहला काम खाना पहुंचाना नहीं बल्कि बर वक्त मरीज़ तक पहुंच कर उसकी जान बचाना है

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मेरी मुखय्यर (नेकी करने वाली) क़ौम पर मेरा सलाम कि जिसके जवान, बूढ़े, मर्द और औरतें सब इस जान लेवा वबा में खतरात के बावजूद एक दूसरे की मदद में लगे हैं।

आइये हम सब मिल कर हर मुमकिन मदद वहाँ तक पहुंचाएं जहाँ तक शायद मदद न पहुंच रही हो।

पिछले साल अपनी क़ौम की खिदमत में अर्ज़ी पेश की थी कि"अली वालो! कोई भूका न रहने पाए" तो पूरी क़ौम ने भरपूर तरीक़े से इस मुहिम को अंजाम दिया था, मगर इस साल सूरते हाल कुछ और है, अभी लॉकडाउन की मुसीबत इतनी नही बढ़ी है कि मुल्की सतह पर घरों में फ़ाके की नौबत हो अगरचे इलाकाई सतह पर ऐसी सूरते हाल भी है।

इस वक्त पहला काम खाना पहुंचाना नही बल्कि बर वक्त मरीज़ तक पहुंच कर उसकी जान बचाना है।

1.बर वक्त डॉक्टर नही मिल पा रहे हैं।
2. अस्पतालों में जगह नहीं है।
3.बर वक्त दवा नही मिल रही है।
4. ऑक्सिजन की कमी है।

यही ज्यादातर मौत की वजह हैं।

रोज़ाना बड़ी तादाद में मौत की खबरें दिल को बेचैन कर रही हैं!  और कुछ न कर पाने का एहसास और ज्यादा तड़पा रहा है, और अपनी बेबसी पर रोना आ रहा है कि न आक्सीजन फराहम कराने की ताक़त है न अस्पतालों मे बेड,
मगर फिर खुद से सवाल किया कि जो करना चाहिये वह नही कर सकते तो क्या जो कर सकते हैं वह भी न करें?
इसलिए मुसलसल करब (बेचैनी) के दिन गुज़ार कर यह फैसला किया कि उठें और जो कर सकते हैं वह तो करें।
इस वक्त हसबे ज़ैल ज़रूरतें हैं:
1.सबसे पहली ज़रूरत बर वक्त सही तिब्बी (मेडिकल) मशवेरा और इलाज का मरीज़ तक पहुंचना है और मरीज़ के साथ घर वालों को सहारा देना है।
बर वक्त और समझदार ख़बर गीरी के बाद बीमारी के मोहलिक होने के इमकानात बहुत कम रह जाते हैं।
इसलिए ऐसे डॉक्टर हज़रात की ज़रूरत है जो रोज़ाना चंद घण्टे ऑनलाइन मरीज़ों को तिब्बी (मेडिकल) मशवेरा दे सकें। इलाकाई सतह पर यह काम हो रहा है मगर मुल्की सतह पर इसकी ज़रूरत है।
2.कहीं कहीं बीमार की फैमली को दवा और ऑक्सीजन के लिए माली मदद की ज़रूरत पड़ती है जो मेरी मुखय्यर (नेकी करने वाली) क़ौम पिछले बरस की तरह पूरी कर देगी जिसका मुझे यकीन है।
3.ऑक्सीजन और हॉस्पिटल में जगह के लिए मुल्क भर में बे शुमार मोमिनीन और इदारे खिदमत में लगे हैं उनके आपसी राबेते के ज़रिये इस काम को भी किया जा सकता है!
ज़ाहिर है इन तमाम खिदमात के लिए एक मरकज़ की ज़रूरत है जहाँ हेल्प लाइन पर मरीज़ राबेता करें तो उनकी ज़रूरियात को पूरा करने के लिए डॉक्टर या दीगर एलाक़ाई ख़िदमत गुज़ारों से राबेता कराया जा सके।
अगर मेरी क़ौम के डॉक्टर और ख़िदमत गुज़ार लोग जो अपने महेल्लों और शहरों में खिदमत कर रहे हैं मुल्क गीर पैमाने पर फैले इदारे तनज़ीमुल मकातिब के नेटवर्क के ज़रिये खिदमत पर तय्यार हों तो इदारा अपनी पूरी तवानाई (ताक़त व क़ूव्वत) के साथ हाज़िर है ताकि दूर दराज़ और देही इलाकों (गाँव देहात) में जानें बचाई जा सकें।
मुझे उम्मीद है कि अली(अ०स०)वाले अली(अ०स०) के नक़्शे क़दम पर चलते हुए हाथ में हाथ दे कर आगे बढ़ेंगे वह अली (अ०स०) जिन्हें अपने दुश्मन की तकलीफ भी बर्दाश्त न थी।
इस खिदमत में शमूलियत के लिए तय्यार हज़रात खास तौर से डॉक्टर साहेबान और वालेन्टियर ग्रुप्स न चीज़ के पर्सनल नंबर पर फ़ोन या इदारे के व्हाट्सएप पर अपनी आमादगी से मुत्तेला फरमाएं।

वस्सलाम
(मौलाना) सय्यद सफी हैदर ज़ैदी
सेक्रेटरी तनज़ीमुल मकातिब
गोलागंज लखनऊ
30 अप्रैल 2021
पर्सनल नंबर
+919415306997
तनज़ीमुल मकातिब व्हाट्सएप नंबर
+918090065982

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