हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद अब्बास बाकरी आंध्र प्रदेश शिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष और सरकारी शिया क़ाज़ी ने कहा कि यह वास्तव में शिया राष्ट्र के लिए मुसीबत का समय है, पवित्र कुरान के खिलाफ निंदा करना एक धर्मत्यागी है। वसीम रुश्दी को उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य के रूप में ट्रस्टियों, निहित स्वार्थों और धर्म-विक्रय ट्रस्टों के बहुमत के आधार पर फिर से बोर्ड का सदस्य चुना गया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इमामबारगाहों, मस्जिदों और मदरसों के तथाकथित मुतावल्लियो को यह नहीं पता था कि वे महशर में ईश्वर, पैगंबर और अहलेबेत (अ.स.) का सामना कैसे करेंगे। मफाद परस्त ट्रस्टी खुद को हुसैनी कहलाते हैं, लेकिन उन्होेने अपने कारनामो से इनकारे वही करने वाले यज़ीद के हम फिक्र का समर्थन करके अपने यज़ीदी होने का सबूत फराहम कर दिया।
अब सवाल यह है कि इस मरदूद के लिए मतदान करने वाले कौन थे? किसी को और उसके परिवार को अपमानित करने के लिए उनके गुस्से वाले विचारों के कारण अनुमान के आधार पर नाम का अपमान करना बुद्धिमानी नहीं है, न ही यह अहलेबेत (अ.स.) की जीवनी है। व्यक्तिगत और धार्मिक विद्वान इस मुद्दे पर विचार करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे। घोषित करें कि हम इस मुद्दे में सत्य के लोगों द्वारा भी खड़े होंगे।
आपकी टिप्पणी