हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "
वसायेलु शिया" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیہ السلام
ان من تمام الصوم اعطاء الزکاة یعنی الفطرة کما ان الصلوة علی النبی (صلی الله علیه و آله و سلم) من تمام الصلوة ....
हज़रत इमाम जाफर सादिक (अ.स.)ने फरमाया:
रोज़े की तक्मील ज़कात का अदा करना है, यानी फितरह देना है, जैसे कि रसूल अल्लाह(स.ल.व.व.) पर दुरूद भेजना नमाज़ की तक्मील का सबब हैं।
वसायेलु शिया,भाग 6,पेंज 221