हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, जन्नतुल बकी में आइम्मा ए मासूमीन (अ.स.) की कब्रें अहलेबैत (अ.स.) के प्रेमियों के लिए तीर्थयात्रा का केंद्र बन गईं। ये मज़ार दसो साल तक इसी शक्ल व सूरत मे रहा यहा तक के मजीदुल मुल्क, जो सल्जुक़ी सरकार में एक मंत्री भी था, के आदेश पर एक माहिर मेमार ने इस स्थान पर ऊंचे गुंबद के साथ एक सुंदर मज़ार बनाया।
ब्रिटिश सरकार की साजिशी जाल और जॉन क्लब का आले सऊद सरकार के लिए एक विशेष सलाहकार बन कर आले सऊद को कार्रवाई करने के लिए उकसाया। इस्लाम के नाम पर, इब्न तैमियाह की झूठी रिवायात और हदीसों के आधार पर, अब्दुल्ला इब्न वहाब ने फितन-ए वहाबियत की बुनयाद रखी। फिर, अपने अनुयायियों और आले सऊद के समर्थन से, सभी पवित्र स्थानों और कब्रों को ध्वस्त करने के लिए एक फतवा जारी किया। यह बात समाचार पत्रो को जारी मिम्बर ऑफ ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड लखनऊ मौलाना सैयद मुहम्मद ज़मान ने कही।
इसी मुनासेबत से शिया हर साल 8 शव्वाल को योमे इन्हेदामे जन्नतुल-बकी के के नाम से शोक मनाते हैं। इस मौके पर शिया मजालिस और अजादारी करते हुए इस घटना की निंदा और ध्वस्त धार्मिक स्थलों के पुनः निर्माण की मांग करते है। इमाम हसन अस्करी (अ.स.) के नूरे नज़र के ज़हूरे पुर नूर से विश्व मे प्रकाश हो। हम जन्नतुल बकी को एक दिन ज़रूर पुनः निर्माण करेंगे इनशाल्लाह।