हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!
लेखक, मौलाना सैयद रज़ी
हर साल शव्वाल की 8 तारीख को जन्नतुल-बकी में दफन हुए इस्लाम के महान व्यक्ति और शहीदों की कब्रों को हटाने पर पूरे आलमे इस्लाम में ग़म और गुस्से की लहर दिखाई देता है।
सब से पहले जन्नतुल-बकी क्या है?
जन्नतुल-बकी 'मदीना शहर में एक कब्रिस्तान है जिसमें 10,000 के आस पास हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के ख़ास दोस्तो को दफनाया गया है। और दूसरे इस्लामिक समुदाय भी इन सब का एहतराम करते हैं।
इसकी अहमियत को हम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की एक रिवायत के जरिए से साबित कर सकते हैं।
उम्में क़ैस बिन्ते मुहसिन बयान करती हैं कि एक बार जब वह पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ जन्नतुल-बकी पहुंचीं, तो उन्होंने इरशाद फरमाया:
इस कब्रिस्तान से सत्तर हज़ार लोग बिना किसी हिसाब वा किताब के स्वर्ग में जाएंगे। और उनका चेहरा उस वक्त चाँद की तरह से चमक रहा होगा ”(सुनन इब्न माजाह खंड 1 पेज 439
ऐसे बा फजीलत कब्रिस्तान में के जहां पर इस्लाम की महान शख्सियत दफन हो, जिन के वकार और अजमत को सभी मुसलमानों ने कुबूल फरमाया है। इस मुकद्दस ज़मीन में, पैगंबर हज़रत मोहम्मद के अजदाद, अहलूल-बैत (अस), उम्मुल मोमानीन, जलील अल-क़द्र आसहाब ताबेईन और दूसरे अहम अफराद जैसे उस्मान बीन ऊूफान और मजहबी मालेकी के पेशवा इमाम अबू अब्दुल्ला! मालिक बिन अनस अल असबाही वफात 179 हिजरी की कब्रे हैं। जिन्हें 8 शव्वाल 1373 हिजरी क़मरी में आले सऊद ने मुनहादिम कर दिया। अफसोस का मुक़ाम तो यह है कि यह सब कुछ इस्लामी तालीमात के नाम पर किया गया था। हम यहां पर फकत कुछ असहाब और अहलुल बैत, के नाम और अजवाजे ए रसूल के नाम जिक्र कर रहे हैं। ताके पढ़ने वालों को इस कब्रिस्तान की अहमियत और इसकी मंजिलत का एहसास हो।
अहलुल बेयत, हज़रत फ़ातिमा (स) बिन्त रसूल अकरम, इमाम हसन, इमाम ज़ैनुल आबिदीन, इमाम मुहम्मद बाक़िर, इमाम सादिक। सभी को इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया है।
जनत अल-बकी में दफन: मोमानीन(अजवाजुल रसूल)में: आयशा बिनते अबी बकर, उम्मे सलमा, ज़ैनब बिनते खजिमाह, रिहाने बिनते ज़ुबैर, मारिया, किब्तेहा, जैनब बिनते जहेश, उम्में हबीबा बिन्त अबी सुफियान, सूदा, हफ्सा बिंते उमर, सफ़िया बिन्त हेय बिन अख़्तब यहोदी और जवारिया बिंते हारिस। इसके अलावा,पैगंबर इस्लाम हज़रत मोहम्मद के बेटे इब्राहिम, मजीदा हज़रत फातिमा बिन्त असद, हज़रत अली की मां, उनकी पत्नी हज़रत उम्म अल-बनीन, हलीमा सादिया, हज़रत अतेका बिन्त अब्दुल मुत्तलिब, अब्दुल्ला बिन जाफ़र, मुहम्मद हनाफ़िया, अकील बिन अबी तालिब और अब्दुल्ला बिन उमर शेख अल-क़ारा 'अल-सबा' की कब्रें वहा मौजूद है।
जलील-उल-क़द्र सहाबी और ताबायीन: हज़रत उस्मान बिन माजून वह पैगंबर हज़रत मोहम्मद के एक वफादार और खास सहाबी थे। उसने मदीना की तरफ हिजरत की और साथ मैं उसने जंगे बद्र की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। वह इबादत खुदा में भी मुनफरिद थे। उनका 2 हिजरी में इंतेकाल हो गया। हज़रत आयशा से रिवायत है हजरत रसूल इस्लाम उसके मौत के बाद उसकी मैय्यत को चूमते थे और साथ में ज़ोर ज़ोर से रोया करते थे। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इसे तारीखी बनाने के लिए उस्मान की कब्र पर एक पत्थर को नसब किया था, लेकिन मदीना में सरकार बनाते ही मारवान इब्न हुकम ने उस पत्थर को उखाड़ फेंका, लेकिन बनी उमैय्या ने इस की कड़ी मोजम्मत की।
दूसरे असहाब जैसे: मिक़दाद बिन अल-असवद, मलिक बिन हारिस, मलिक अश्तर नखई, खालिद बिन सईद, खज़ीमा, ज़ैद बिन हारिस, साद बिन ईबादाह, जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी, हेसान बिन साबित, क़ैस बिन साद बिन ईबादाह, असद बिन ज़ारह, अब्दुल्ला इब्न मसूद और मुआज इब्न जबल और दूसरे बहुत सारे बुजुर्ग असहाब को भी यहाँ दफनाया गया है।
हर मुसलमान का फर्ज है कि वह इस अज़ीम कब्रिस्तान की हिफाज़त और निर्माण के लिए आवाज उठाए, क्योंकि हर मुस्लिम पर आवाज़ उठाना वाजीब है। इस लिए की इन लोगों के जरिए से इस्लाम हम तक पहुंचा है। अगर इन लोगों ने इस्लाम को हम तक पहुंचाने की कोशिश नहीं करते तो आज इस्लाम तारीख के पन्नो मैं ही दब जाता। इस्लाम के सच्चे और इंसान सिफत असहाब और उनके दरगाह अल्लाह की निशानी हैं। अल्लाह की निशानियाँ इंसान को अल्लाह के पास ले जाती हैं। वोह दिन और फिरका जो अपने मजहबी निशानीयो की हेफाजत और उनका सम्मान करते है वोह हमेशा जिंदा रहते है। यदि किसी राष्ट्र के निशान नष्ट हो गए हैं, तो जान लें कि वे मर चुके हैं। और इस्लाम के दुश्मन हर रोज़ इस्लामी आसार को मिटाने की कोशिश करते रहते है। इस्लामी दुश्मन इस्लामी असर को मिटाते वक्त यह सोच कर कि दुनिया के सभी मुसलमान मर चुके हैं। हम दुश्मन के सामने सर नहीं झुकाए जब तक कब्रिस्तान नहीं बन जाता और हम इस दुश्मन के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे और सऊदी अरब की वर्तमान सरकार से कब्रिस्तान के पुनर्निर्माण की मांग कर के अपने आप को जिंदा साबित कर के बताए ge। और आखिर मैं मेरे खुदा जल्द से जल्द तमाम इस्लामी हस्तियों की कब्रे की तामीर करवा। आमीन। और सारी दुनिया को सच पर चलने की तोफीक इनायत फरमा।