हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , जमीयतुल उलेमाये पाकिस्तान के केंद्रीय अध्यक्ष सवाद आज़म अध्यक्ष सैय्यद मोहम्मद महफूज़ मशहदी और महासचिव सैय्यद मोहम्मद इकबाल शाह लाहौर में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए।कहां कि मज़हब और सियासत में उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है ,
शांतिपूर्ण संघर्ष हमेशा से अहले सुन्नत की पहचान रही है।
अहले सुन्नत नेताओं ने पैगंबर के अंत के आंदोलन और निज़ामे मुस्तफा आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सकारात्मक लक्ष्यों को प्राप्त किया।
उन्होंने आगे कहा कि हुकूमत के रास्ते में कभी भी रुकावट नहीं बनना चाहिए अपनी बात को उनके सामने रखना गलत नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी का मोहरा बनकर जबरदस्ती संघर्ष नहीं होना चाहिए पाकिस्तान एक लोकतांत्रिक और इस्लामी देश है,सशस्त्र संघर्ष और विद्रोह के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि पैगंबर स.ल.व.व. के परिवार के सम्मान की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि हट धर्मी किसी भी सदस्य के हित में सही नहीं है एक लोकतंत्र के खिलाफ है।
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