हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्लामी गणराज्य ईरान से अमरीका की गहरी दुश्मनी और द्वेष की असली वजह यह है कि ईरान के अवाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों को क्रांतिकारी और धार्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं। इसीलिए साम्राज्यवाद का सरग़ना अमरीका इस्लामी गणराज्य का विरोधी है।
अमरीका का पॉलीसी मेकिंग सिस्टम नाकारा है। ईरान के तथ्यों को समझ नहीं पाता। जब हालात का सही अनुमान न हो तो फ़ैसले भी ग़लत होंगे। यही वजह है कि वे अब तक बार बार नाकाम होते रहे और आइंदा भी इंशाअल्लाह नाकाम रहेंगे।
ईरान और इराक़ के शहरों में शहीद सुलैमानी का हैरतअंगेज़ अंदाज़ से वैभवशाली अंतिम संस्कार हुआ और अल्लाह ने इसमें बरकत प्रदान की। अगर उनका जनाज़ा सीरिया, लेबनान और पाकिस्तान ले जाया जाता तो वहां भी यही होता।
सरदार सुलैमानी की शहादत दुश्मन की नज़र में हमारे लिए एक ख़तरनाक मोड़ थी लेकिन इस ख़तरे को ईरान की मुसलमान क़ौम ने महान अवसर में बदल दिया। प्रतिरोध आंदोलन ख़त्म होने के बजाए अधिक व्यापक और ताक़तवर बन गया।
ग़ैरते दीनी (धार्मिक स्वाभिमान) ख़तरों को अवसरों में बदल देती है। इसकी एक मिसाल ईरान के ख़िलाफ़ सद्दाम की थोपी गई जंग है। अमरीका, सोवियत युनियन और नैटो वग़ैरा इस अंतर्राष्ट्रीय जंग में ईरान को हराने के लिए एकजुट हो गए थे लेकिन अवाम की ग़ैरते दीनी ने उन सब को शिकस्त दी।