۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई

हौज़ा / इस्लामी गणराज्य ईरान में राष्ट्रपति पद के तेरहवें और नगर व ग्राम परिषद के छठे चुनावों के मौक़े पर सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने बुधवार शाम को टीवी से प्रसारण होने वाली स्पीच मे ईरानी जनता को संबोधित किया। 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस स्पीच में सुप्रीम लीडर ने आसन्न राष्ट्रपति चुनाव के ख़िलाफ़ दुश्मन के प्रोपैगन्डे का ज़िक्र करते हुए कहाः “कुछ देश ऐसे हैं जो इक्कीसवीं सदी के मध्य में भी क़बायली सिस्टम से संचालित होते हैं, वे ईरान में होने वाले चुनाव के ख़िलाफ़ बोलते हैं और टेलीविजन चलाते हैं ताकि यह प्रोपैगन्डा करें कि ईरान के चुनाव प्रजातांत्रिक नहीं हैं।”

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने अपनी स्पीच की शुरुआत में पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की बधाई दी। उसके बाद शुक्रवार के चुनावों के बारे में कुछ अहम बिन्दु पेश किए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि राष्ट्रपति पद का चुनाव बहुत ही निर्णायक घटना है, अपने पिछले भाषण की ओर इशारा किया और इस बिन्दु का ज़िक्र करते हुए कि इस्लामी गणराज्य व्यवस्था में जनता की भागीदारी का ठोस वैचारिक स्तंभ है, कहाः “इस्लामी गणराज्य में गणराज्य एक भाग और इस्लामी दूसरा भाग है। अगर आम लोग भाग न लें तो इस्लामी गणराज्य वुजूद में नहीं आएगा।”
सुप्रीम लीडर ने इस बिन्दु का उल्लेख करते हुए कि शैतानी ताक़तों का लक्ष्य जनता को व्यवस्था से दूर करना है, कहाः “कई महीने से अमरीकी और ब्रिटिश मीडिया, मतदान केन्द्रों पर जनता की उपस्थिति को ग़ैर अहम दिखाने के लिए मरा जा रहा है लेकिन अनुभव से ज़ाहिर है कि दुश्मन की जो इच्छा थी जनता ने उसके ख़िलाफ़ किया और इस बार भी अल्लाह की कृपा से ऐसा ही होगा।”

उन्होंने चुनाव में भागीदारी को राजनैतिक विचारों से ऊपर बताया और पवित्र क़ुरआन के सूरए बराअत की आयत नंबर 120 का हवाला दिया कि हर वह कर्म जिससे इस्लाम के दुश्मन अप्रसन्न हों, ईश्वर के निकट भला कर्म है और चुनाव में भागीदारी भी सद्कर्मों में शामिल है क्योंकि इससे इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन अप्रसन्न होते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने बल दियाः “चुनाव, मैदान जनता की मौजूदगी का चिन्ह है और मैदान में जनता की मौजूदगी का मतलब यह है कि इस्लामी गणराज्य व्यवस्था के पास जनाधार है और यह जनाधार, इस्लामी गणराज्य व्यवस्था और देश को ताक़तवर बनाने में बेजोड़ असर रखता है, यानी कोई भी साधन जनता की भागीदारी जितना ताक़त प्रदान करने वाला नहीं है।” 

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि जो लोग जनता को चुनाव में भाग लेने की ओर से निराश कर रहे हैं, वे व्यवस्था को कमज़ोर करने की कोशिश में हैं ताकि देश आतंकियों का लुक़्मा बन जाए। उन्होंने जनता की कम तादाद में भागीदारी को दुश्मन के दबाव बढ़ने का कारण बताते हुए कहाः “व्यवस्था के प्रति जनाधार, दुश्मन को दिखाई देना चाहिए।”

सुप्रीम लीडर ने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि ईरान एक शक्तिशाली व समृद्ध देश है, कहाः “जो राष्ट्रपति ज़्यादा मतों से चुना जाएगा, वह ताक़तवर राष्ट्रपति होगा और बड़े बड़े काम कर सकेगा। हमारे देश के पास अपार क्षमताएं है। इन क्षमताओं से फ़ायदा उठाने के लिए ऐसे ताक़तवार इंसानों की ज़रूरत होती है जिनके पास बड़े पैमाने पर जनाधार हो।”

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने ईरान में सभी चरण के चुनावों के साफ़ व पारदर्शी होने पर बल देते हुए, विभिन्न राजनैतिक विचारों के राष्ट्रपतियों के सत्तारूढ़ होने को चुनावों के पारदर्शी होने का प्रमाण कहा और इस इस बात का सुबूत बताया कि ईरान में चुनाव किसी एक राजनैतिक विचार के अधीन नहीं रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार के प्रस्तावित चुनाव को प्रतिस्पर्धात्मक बताया और चुनावी उम्मीदवारों की टीवी डिबेट और उनके वैचारिक व ज़बानी मतभेदों को इसकी दलील बताया।  

सुप्रीम लीडर ने इस्लामी क्रान्ति के आग़ाज़ से ईरान के चुनावों और इस्लामी गणराज्य के रिफ़्रेन्डम के दुश्मन की ओर से विरोध का ज़िक्र किया और कुछ अरब देशों की ओर संकेत करते हुए जो इस्लामी गणराज्य के ख़िलाफ़ सक्रिय हैं, कहाः “रोचक बात यह है कि कुछ देश हैं जो इक्कीसवीं सदी के मध्य में क़बायली सिस्टम से चलाए जाते हैं और वहां चुनाव का नामो निशान तक नहीं है और उन देशों की जनता को पता ही नहीं है कि मतपेटी क्या होती है। लेकिन ये देश ईरान के चुनाव के ख़िलाफ़ 24 घंटे का टीवी चैनल चलाए हुए हैं, यह प्रोपैगन्डा करने के लिए कि ईरान के चुनाव प्रजातांत्रिक नहीं हैं।”
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने जवानों को मतदान केन्द्रों तक आने की दावत देते हुए कहाः “जवान नस्ल देश में आगे आगे रहने वाली है। उसे चुनाव में भी ऐसा ही होना चाहिए। इसलिए जवान नस्ल लोगों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित करे।”

उन्होंने ईरानी राष्ट्र को सक्षम राष्ट्र बताया जिसने इस्लामी क्रान्ति और इस्लामी गणराज्य की स्थापना जैसा कारनामा किया और थोपी गयी जंग में विजयी हुआ। सुप्रीम लीडर ने कोरोना का टीका बनाने में जवान नस्ल की कामयाबी को एक और कारनामा बताया जिसे ईरानी राष्ट्र ने दुश्मनों की इच्छा के विपरीत कर दिखाया और विदेश के कंजूस हाथों के सामने आने का इंतेज़ार नहीं किया। उन्होंने ईरान की जवान नस्ल की 20 फ़ीसद तक यूरेनियम एन्रिचमेन्ट टेक्नॉलोजी की प्राप्ति की कामयाबी का ज़िक्र करते हुए जो रेडियो मेडिसिन की तैयारी में काम आती है, कहाः “इस राष्ट्र को निराश नहीं किया जा सकता। जो लोग ग़लत समीक्षा करते हैं जिसके नतीजे में मायूसी पैदा होती है, वह ग़लत काम है।”

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने अंत में चुनाव के आयोजन से जुड़े लोगों से कुछ बिन्दुओं पर ध्यान देने की सिफ़ारिश की। एक, मतदान केन्द्रों पर जनता की उपस्थिति के लिए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन हो। लोग इस तरह हाज़िर न हों कि उनके स्वास्थ्य को ख़तरा हो। दूसरे, बैलेट पेपर की कमी न हो जैसा कि पिछले चुनावों में नज़र आया था। इस मुश्किल को दूर करें। ऐसा न हो कि बैलेट पेपर कहीं देर से पहुंचे या कहीं न पहुंचे। तीसरे, जैसा कि सुनने में आया है, विदेशों में ज़रूरी तय्यारी नहीं हो पायी। मैं चाहता हूं विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय इस बारे में गंभीरता दिखाए। ऐसा न हो जिन देशों में ईरानी नागरिक चुनाव में भाग लेना चाहते हैं, वे मतदान से वंचित हो जाएं।

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