۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
पुरूस्कार वितरण

हौज़ा / दर्सगाहे बाक़िरया के संस्थापक मौलाना हुसैन अब्बास तुराबी ने दर्सगाह की 34 वर्षों की सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज बच्चों को आधुनिक और सांसारिक शिक्षा के साथ-साथ उन्हें बुनियादी धार्मिक शिक्षा प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है। आज उर्दू सिर्फ एक भाषा ही नहीं हमारी राष्ट्रीय और धार्मिक धरोहर भी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार दर्रसगाहे बाक़िरया में हर साल की तरह इस साल भी हसीना अफसर जहां बेगम, बंजारी टोला, अकबरी गेट, लखनऊ में पुरस्कार वितरण और शैक्षिक प्रदर्शन के थीम के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सैयद कासिम हुसैन ने कुरान की आयात की तिलावत की और सैयद अली इमाम आबिदी शान लखनऊ ने निदेशक के कर्तव्य निभाए।

सभा को संबोधित करते हुए डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहा कि किसी भी सफलता के लिए लक्ष्य की पहचान करना आवश्यक है।

इससे पूर्व बाक़िरया दर्सगाह के विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन किया। ज़ीनत फातिमा ने हज़रत ज़हरा (स.अ.) के अलकाब, मुहम्मद क़ायद ने दुआ मोमिन का शस्त्र शीर्षक पर अंग्रेजी भाषा मे भाषण दिया। अनीशा, अदिबा, आयत और आलिया ने ज्ञान पर कविताएँ पढ़ीं, नुदबा फातिमा ने कुरान के ज्ञान का लाभ, किसा ज़हरा ने ज्ञान का महत्व पर अंग्रेजी में भाषण, मिस्बाह फातिमा और गुल फातिमा ने कुरानिक प्रश्न और उत्तर, मिर्जा आलमिर ने हिंदी में भाषण दिया, आफरीन, मिदहत, माहेरा, नासिया, बुश्रा, और मरियम अब्बास ने हमारे उस्ताद कविता पढ़ी, ऐनी ज़हरा ने मज़ाहिया कविता उस्ताद का डंडा, मोहम्मद लारीब और मोहम्मद अली ने ऐतिहासिक बहस इमाम होना जरूरी है पेश किया।

दर्सगाह बाकिरया के संस्थापक मौलाना हुसैन अब्बास तुराबी ने दर्सगाह की 34 वर्षों की सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज बच्चों को आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के साथ-साथ उन्हें बचपन से ही बुनियादी धार्मिक शिक्षा प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है। धर्म आज उर्दू न केवल एक भाषा बल्कि हमारी राष्ट्रीय और धार्मिक धरोहर भी है।

मौलाना तुराबी ने कहा कि यह स्कूल 1994 से तंज़ीम-उल-मकताब से संबद्ध है। जिसमें हर साल तंज़ीमुल मकातिब द्वारा परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं। जिसे एक विशेष पुरस्कार के साथ-साथ एक मैडल भी दिया गया।

अंत में दस छात्रों अली आलम रिजवी, वलीना फातिमा, जहरा रिजवी, फिजा फातिमा, जहीन फातिमा, मुहम्मद हबीब, मरियम फातिमा, मुहम्मद कामिल, यासूब अब्बास और मंताशा रिजवी को भी प्रमाण पत्र दिए गए, जिन्होंने इस वर्ष मदरसा से स्नातक किया है।

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