हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "फेहरिस्त ग़ुर्र" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامیرالمومنین علیه السلام
اَكرِمْ ضَیْفَكَ وَ اِن كانَ حقیراً وَ قُم عَنن مَجلِسِكَ لِأِبیكَ وَ مُعَلِّمِكَ و إنْ كُنتَ امیراً
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
मेहमानों की इज्ज़त करो, भले ही आपकी नज़र में छोटा हो, और अपने माता पिता और अध्यापक के सम्मान में खड़े हो जाओ, भले ही तुम हाकिम और शासक हो,
फेहरिस्त ग़ुर्र पेंज 211