۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रसूल फलाहती

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रसूल फलाहती ने इस्लामिक नियमों को गुलामों की आजादी और मुक्ति का आधार बताते हुए कहा: इस्लाम इंसान की इंसानियत की रक्षा के लिए आया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के रश्त शहर के "शबेस्तान-ए-मुसल्ला" में रमजान के पहले दिन सूरह अल-अहजाब की चौथी आयत की व्याख्या करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रसूल फलाहती के ने कहा: रमजान का मुबारक महीना अल्लाह तआला की नेमतो से लाभ उठाने का महीना है।

उन्होंने कहा, "सूरा ए अहजाब की चौथी आयत "مَا جَعَلَ اللَّهُ لِرَجُلٍ مِنْ قَلْبَيْنِ فِي جَوْفِهِ ۚ وَمَا جَعَلَ أَزْوَاجَكُمُ اللَّائِي تُظَاهِرُونَ مِنْهُنَّ أُمَّهَاتِكُمْ ۚ وَمَا جَعَلَ أَدْعِيَاءَكُمْ أَبْنَاءَكُمْ ۚ ذَٰلِكُمْ قَوْلُكُمْ بِأَفْوَاهِكُمْ ۖ وَاللَّهُ يَقُولُ الْحَقَّ وَهُوَ يَهْدِي السَّبِيلَ" के अनुवाद का हवाला देते हुए कहा " अल्लाह तआला ने किसी भी आदमी मे दो दिल नही बनाए है (यानी, धारणा और इरादे के दो स्रोत) घोषित नहीं किए हैं और तुम्हार अपनी ही पत्नियों को मां के रूप में संबोधित करना (ज़िहार) हैं और किसी अन्य व्यक्ति को बेटा कहने से वह तुम्हारा बेटा नहीं बन जाता। तुम्हारी यह बात मौखिक है और असत्य है, और वह ईश्वर है जो सत्य बोलता है, और वही है जो (तुम्हें) सत्य की ओर ले जाता है।"

रश्त के इमामे जुमआ ने यह कहते हुए कि उपरोक्त आयत में, अल्लाह तआला ने अज्ञानता के युग के कई मुद्दों को अमान्य कर दिया है, स्पष्ट किया: अल्लाह तआला ने मनुष्य के अंदर दो दिलों के अस्तित्व को अमान्य कर दिया और "ज़िहार" को बातिल करार दिया है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन फलाहती ने इस्लामिक नियमों को गुलामों की आजादी और मुक्ति का आधार बताते हुए कहा कि इस्लाम इंसान की इंसानियत की रक्षा करने आया है।

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