हौज़ा न्युज एजेंसी के इस्फ़हान एक संवाददाता से बात करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद जलाली ने कहा: रमजान का महीना रहमत और बरकत का महीना है। यह खुदा की मेहमानी का महीना है जिसके विशेष शिष्टाचार (आदाब) है।
उन्होंने कहा: जिस तरह पैगंबर अकरम (स.अ.व.व.) ने फरमाया, इस महीने में सबसे अच्छा अमल गुनाहो से बचना है, इसलिए हमें खाने-पीने के अलावा अपनी आंखों, कानों, जीभ, अंगों को ईश्वर की अवज्ञा से दूर रखना चाहिए।
धार्मिक अध्ययन के इस शिक्षक ने कहा: हमें इस महीने मे वारिद दुआ को पढ़ना चाहिए, अनाथों के साथ प्यार से पेश आना चाहिए, भिक्षा देनी चाहिए और रोजा इफ्तार कराना चाहिए।
हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन जलाली ने कहा: कोरोना वायरस ने रमजान के महीने में धार्मिक गतिविधियों को सीमित कर दिया है। मस्जिदों के दरवाजे बंद हैं और लोग नमाजे जमाअत में शामिल नहीं हो सकते हैं, लेकिन रोजा रखने वाले लोगों को अव्वले वक्त नमाज पढ़ने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।