हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,8 अप्रैल। फ़ासिस्ट शक्तियों द्वारा कर्नाटक से शुरु किया गया हिजाब का मसला राष्ट्रव्यापी बनता जा रहा है और अब यह बात छुपी नहीं रह गई है कि यह मसला कुछ देशद्रोहीयों द्वारा देश के मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर आतंकवाद फैलाने और देश को तोड़ने के लिए शुरू किया गया है,
इसका असली मक़सद मुस्लिम महिलाओं को उनके धार्मिक व संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना है। अपने इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए कर्नाटक की मुस्लिम छात्राओं ने हाई कोर्ट का रुख़ किया था लेकिन माननीय हाई कोर्ट इस्लाम में हिजाब के महत्व और ज़रुरत को समझ न सका और हिजाब की ज़रुरत के ख़िलाफ़ फैसला सुना दिया, जिसको चुनौती देने के लिए मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
इसी संबध में मजलिसे ख़ास 'शिया ओलमा असेम्बली हिंदुस्तान' की कल सुबह 10 बजे ऑनलाइन बैठक हुई जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के तरीक़ों पर विचार विमर्श किया गया, बैठक में आम सहमति से यह भी पास किया गया कि चूँकि हिजाब, इस्लामी ज़रुरत होने के साथ साथ भारतीय सभ्यता व संस्कृति का हिस्सा भी है इसलिए हम उन सभी मुस्लिम संगठनों के साथ खड़े रहेंगे जो हिजाब मसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जाएंगे।
बैठक में मौलाना क़ाज़ी असकरी दिल्ली, मौलाना सैय्यद सफ़ी हैदर ज़ैदी लखनऊ, मौलाना ग़ुलाम रसूल श्रीनगर, मौलाना मंज़र सादिक़ लखनऊ, मौलाना मुख़्तार हुसैन जाफ़री पुंछ, मौलाना मोहसिन तक़वी दिल्ली, मौलाना फ़य्याज़ बाक़िर मुंबई, मौलाना पैगंबर अब्बास नौगावां सादात, मौलाना क़मर हसनैन दिल्ली, मौलाना ग़ुलाम मोहम्मद मैहदी चेन्नई ने भाग लिया और मजलिसे ख़ास के सदस्यों के अलावा इंजीनियर और जाने माने बुद्धिजीवी अली क़ुली क़रई हैदराबादी निवासी ईरान मौलाना नबी रज़ा अलीपुरी बंगलौर निवासी कनाडा और मौलाना एडवोकेट मुजाहिद हुसैन हैदराबाद को भी शामिल किया गया।
ज्ञात रहे कि शिया ओलमा असेम्बली हिंदुस्तान कर्नाटक हिजाब मसले के उठने के शुरूआत से ही धार्मिक और कानूनी पहलुओं पर गौर कर रही है और सक्रिय है।