۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
हिजाब

हौज़ा / हिजाब पहनी छात्राओं को अलग कक्ष में बिठाना या कॉलेज से निकलकर अपनी इच्छा के अनुरूप मुस्लिम-संचालित महाविद्यालयों में जाने को कहना कुछ और नहीं, बल्कि भेदभाव है। यही कारण है कि सिखों को न केवल कक्षा में बल्कि पुलिस और सेना में भी पगड़ी पहनने की अनुमति है। हिन्दु छात्र बिना किसी टिप्पणी या विवाद के स्कूल और कॉलेज के यूनिफॉर्म के साथ बिंदी/तिलक/विभूति लगा सकते हैं, इसी तरह मुस्लिम छात्राओ को भी अपने यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनने की अनुमति होनी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हिजाब का विवाद कर्नाटक के उडुपी ज़िले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसम्बर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उनके जवाब में महाविद्यालय में हिंदु विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे, धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का महौल पैदा हो गया और हिंसा हुई।

हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को निशाना बनाने की घटना की निंदा करते हुए भारत के एक हज़ार से अधिक नारीवादियों, लोकतांत्रिक समूहों, शिक्षाविदों, वकीलों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव का नवीनतम बहाना क़रार दिया है।

एक खुले पत्र में इन लोगों ने कहा है कि उनका मानना है कि भारतीय संविधान विद्यालयों और महाविद्यालयों में बहुलतावाद का जनादेश देता है, न कि एकरूपता का। इस पत्र पर 1,850 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में कहा गया है कि हिजाब पहनी छात्राओं को अलग कक्ष में बिठाना या कॉलेज से निकलकर अपनी इच्छा के अनुरूप मुस्लिम-संचालित महाविद्यालयों में जाने को कहना कुछ और नहीं, बल्कि भेदभाव है।

पत्र में कहा गया है कि ऐसे संस्थानों में यूनिफॉर्म विभिन्न और असमान आर्थिक वर्गों के छात्रों के बीच अंतर को कम करने के लिए होता है। इनका उद्देश्य एक विविधतापूर्ण देश पर सांस्कृतिक एकरूपता थोपना नहीं है, यही कारण है कि सिखों को न केवल कक्षा में बल्कि पुलिस और सेना में भी पगड़ी पहनने की अनुमति है।

पत्र में कहा गया है कि यही कारण है कि हिन्दु छात्र बिना किसी टिप्पणी या विवाद के स्कूल और कॉलेज के यूनिफॉर्म के साथ बिंदी/तिलक/विभूति लगा सकते हैं, इसी तरह मुस्लिम महिलाओं को भी अपने यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनने की अनुमति होनी चाहिए।

पत्र को 15 राज्यों के 130 से अधिक समूहों ने भी अपना समर्थन दिया है।

हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 10 फ़रवरी को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर न देने के लिए कहा था, इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

इस पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े न पहनने के लिए कहा गया है।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .