हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,अख़्लाक़ पाकीज़ा हवा के झोंके के समान है। इंसानी समाज में अगर यह मौजूद हो तो लोग इस वातावरण में सांस लेकर सेहतमंद ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं।
अगर अख़लाक़ न हो और बे अख़लाक़ी फैल जाए, लालच, ख़्वाहिशें, जेहालतें, दुनिया का लोभ, नफ़रतें, जलन, कंजूसी और एक दूसरे के बारे में बदगुमानी आम हो जाए, जब यह अख़लाक़ी बुराइयां फैल जाएं तो ज़िंदगी बहुत दुश्वार हो जाएगी। घुटन होने लगेगी। इंसान सेहतमंद माहौल में सांस नहीं ले पाएगा।
आज हमें, ईरानी अवाम को भी और इस्लामी समाज को भी अख़्लाक व शिष्टाचार की शदीद ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई,