۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
زن شوهر

हौज़ा/इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर, आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,अगर ख़ानदान के अंदर क़ुरआनी उसूल पर अमल किया जा रहा हो तो बीवी का किरदार पूरे परिवार वालों के लिए सराहनीय हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर, आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां, अगर घर के अंदर औरत को मानसिक और नैतिक शांति हासिल हो, सुकून और चैन हासिल हो, शौहर वाक़ई बीवी के लिए ‘लिबास’ का किरदार अदा कर रहा हो और इसी तरह बीवी भी शौहर के लिए ‘लिबास’ की भूमिका निभा रही हो। दोनों के बीच उसी अंदाज़ की मुहब्बत हो जिस पर क़ुरआन ने ताकीद की है।

अगर ख़ानदान के अंदर इस क़ुरआनी उसूल पर अमल किया जा रहा हो कि उनको जितनी ज़िम्मेदारी दी गई है उसी मात्रा में उन्हें साधन और अधिकार भी मुहैया कराए जाएं तो ख़ानदान से बाहर का वातावरण और हालात महिला के लिए सहन करने योग्य होंगे। वह उन हालात का सामना कर ले जाएगी। अगर औरत अपने आवास के अंदर, अपने असली मोर्चे के भीतर अपनी मुश्किलों को कम करने में कामयाब हो जाए तो यक़ीनन समाज के स्तर पर भी वह इसमें कामयाब होगी।

इमाम ख़ामेनेई

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