शुक्रवार 10 दिसंबर 2021 - 17:19
नमाज़े जमाअत इस्लामिक समाज की मानवयत और पहचान है

हौज़ा/इमामें जुमआ शहरे उरूमिया के पश्चिमी आज़रबाईजान के उरूमिया शहर के इमामे जुम्आ और वली फक़ीह के प्रतिनिधि ने हौज़ा ए इल्मिया में खिताब करते हुए कहा कि इस्लामी समाज में मानवयत और पहचान को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है कि नमाज़ जमाअत से अदा की जाए और रिवायत में भी नमाज़े जमाअत के लिए बहुत ज़्यादा सवाब और ताकीद बयान की गई है। लिहाज़ा अगर नमाज़ जमाअत से अदा ना की जाए तो बहुत बड़ा नुकसान है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मेंहदी कुरैशी ने मदरसे इल्मिया इमाम खुमैनी में खिताब करते हुए कहा कि इस्लामी समाज में मानवयत और पहचान को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है कि नमाज़ जमाअत से अदा की जाए और समाज सुधार के लिए सबको अपनी भूमिकाये आदा करनी चाहिए ।आपके सभी प्रयासों का उपयोग समाज के अर्थ को बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए।


उन्होंने रिवायत की रोशनी में नमाज़े जमाअत के सवब का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस्लामी समाज में मानवयत और पहचान को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है कि नमाज़ जमाअत से अदा की जाए और रिवायत में भी नमाज़े जमाअत के लिए बहुत ज़्यादा सवाब और तकिद कि गई है। लिहाज़ा अगर नमाज़ को जमाअत से अदा ना की जाए तो बहुत बड़ा नुकसान है।

मौलाना ने कहा कि एक और वजह है जो मोमिनीन और खासतौर पर दीनी विद्यार्थियों की रूहानी तरक्की और उसमें बढ़ावा देने के लिए नमाज़े शब का होना बहुत ज़रूरी है।

अंत में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद मेंहदी कुरैशी ने कहां की कर्बला की खाक पर सजदा करना तसबीह पढ़ना नमाज़े जाफरे तैय्यार और ज़ियारते आशूरा की तिलावत करना जिंदगी की कामयाबी की सीढ़ी है.

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