۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
समाचार कोड: 383139
8 अगस्त 2022 - 00:20
کربلا

हौज़ा/कर्बला में दो इस्लाम आमने सामने थे एक पॉलिटिकल इस्लाम और दूसरा स्प्रिचुअल इस्लाम पॉलिटिकल इस्लाम में लाखो के लश्कर के साथ यज़ीद था, और स्प्रिचुअल इस्लाम की क़यादत इमाम हुसैन आपने 72 जाँनाशीनो के साथ कर रहे थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कर्बला में दो इस्लाम आमने सामने थे एक पॉलिटिकल इस्लाम और दूसरा स्प्रिचुअल इस्लाम पॉलिटिकल इस्लाम में लाखो के लश्कर के साथ यज़ीद था, और स्प्रिचुअल इस्लाम की क़यादत इमाम हुसैन आपने 72 जाँनाशीनो के साथ कर रहे थे।


एक तरफ़ तीर और तलवार थे, दूसरी तरफ़ किरदार लेकिन पॉलिटिकल इस्लाम के सहारे हुकूमत पर बैठे बादशाह को ख़लीफ़ा बनने के लिये जरूरी था स्प्रीचुअल इस्लाम की बैय्यत यानि मान्यता, जिस पर इमाम हुसैन का तारीख़ी जवाब था कि, "मुझ जैसा, यज़ीद जैसे की बैय्यत नहीं कर सकता।


हुसैन के इस एक इनकार ने रहती दुनिया तक हक़ और बातिल के दरम्यान एक लकीर खींच दी हुसैन उस इस्लाम की इमामत कर रहे थे जिसके बानी प्रॉफेट मोहम्मद ने अपनी पूरी हयात में तलवार को हाथ नहीं लगाया था जबकि पॉलिटिकल इस्लाम वालो ने ज़मीनों को जीतना ही इस्लाम बना दिया।

यज़ीद का दौर आते आते, इस्लाम को बादशाहत में तब्दील किया जा चुका था, और शायद इस भटके हुए पॉलिटिकल इस्लाम को हम असल इस्लाम समझते अगर कर्बला मील के पत्थर की मानिंद हमारे सामने ना होता। आज जो इस्लामिक आतंकवाद का इल्ज़ाम हम पर आयद होता है दरअसल ये वही पॉलिटिकल इस्लाम का एक हिस्सा है जिसका शिकार खुद प्रॉफेट मोहम्मद का घराना हुआ।
ये वही इस्लाम था जिसका स्प्रिचुअल इस्लाम से कोई वास्ता ना था, इनका मज़हब सिर्फ़ हुकूमत था और जो मज़हब की आड़ में इस्लाम को पोलिटिकल रंग देने में महारत रखते थे।
हुकूमत हासिल करने के लिये, हुकूमत को महफूज़ रखने के लिये और हुकूमत चलाने के लिये मज़हब को अपनी मर्ज़ी से तोड़कर, और फायदा उठाने का रिवाज पुराना रहा है, जिस इस्लाम ने नफ़्स पर क़ाबू रखने को जिहाद कहा था,

उसी जिहाद को पॉलिटिकल या बादशाहों के इस्लाम ने तलवारबाजी और ज़मीनों को क़ब्ज़ा करने का नाम दे दिया।
ज़रूरत है आज कर्बला के मक़ासिद को लोगो को बताना, पॉलिटिकल इस्लाम और स्प्रिचुअल इस्लाम को समझने की ज़रूरत है आज, कर्बला और इमाम हुसैन कि तालीमात को तर्ज़ ऐ अमल में लाने की, हक़ के खिलाफ सदा ऐ हुसैन बुलंद करने की।
इस कुल कायनात पर जब भी कोई किसी ज़ुल्म के खिलाफ एहतेजाज करता है, वो इमाम हुसैन के अनुयायियों में शामिल हो जाता है, आज पूरी दुनिया मे जिस तरह इंसानियत को पामाल किया जा रहा है, ज़रूरी है कि कर्बला के मकसद को सबके सामने रखा जाए और आदमियत के इस पैग़ाम्बर कि नसीहतों से इस्लाह ली जाए।

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