हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
مَن اَحَبَّ أن يَعلمَ أَقُبِلَت صَلاتُهُ اَم لَم تُقبَل فَلينَظُر هَل مَنَعَت صَلاتُهُ عَنِ الفَحشاءِ وَالمُنکرِ؟ فَبقَدرِ ما مَنَعتْهُ قُبِلَت مِنُه
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
अगर कोई चाहता है कि वह यह जान सके कि उसकी नमाज़ कुबूल हुई या नहीं तो इसे देखना चाहिए कि इसकी नमाज़ इसे बुराई और मून्किरात से रोकती हैं कि नहीं, बस जिस हद तक उसकी नमाज़ उसको बुराइयों से रोके, समझ लो उतनी ही उसकी नमाज़ कबूल हुई हैं।
बिहारूल अनवार,भाग 82,पेंज 198
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