हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
اِذا ارادَ اَحدُكُم أَن یُستجابَ لَهُ فَلیُطَیّبْ كَسْبَهُ وَ لِیَخْرُجْ مِن مَظالِمِ الناس۔
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अगर कोई चाहता है कि उसकी दुआ कबूल हो, तो उसकी आमदनी हलाल और पाक होनी चाहिए, और उसे लोगों के हक़ का ख्याल रखना चाहिए, उनके साथ ज़ुल्म नहीं करना चाहिए।
बिहारूल अनवार,भाग 93,पेज 321
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