हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार हैं।
:قال الصادق علیه السلام
لَإنْ اُقْرِضَ قَرْضا اَحَبُّ اِلَىَّ مِنْ اَنْ اَصِلَ بِمِثْلِهِ.
हजरत इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
मुझे बगैर उधार के माल को दे देने से इसे कर्ज़ के तौर पर देना ज़्यादा पसंद है।
बिहारूल अनवार भाग 103,पेंज 139