हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الحسن علیہ السلام
مَنْ قَرَءَ الْقُرْآنَ کانَتْ لَهُ دَعْوَةٌ مُجابَةٌ، إمّا مُعَجَّلةٌ وَ إمّا مُؤجَلَّةٌ.
हज़रत इमाम हसन (अ.स.)ने फरमाया:
जो कुरान करीम की दिक्कत से तिलावत करेंगा, तो उसकी दुआ अगर मस्लाहत हुई तो जल्द या अगर मस्लाहत ना हुई तो देर से कबूल ज़रूर होगी.
बिहारूल अनवार,भाग 93,पेंज 313,हदीस 17