हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह सय्यद अहमद अलम उल-हुदा ने आज मशहद में अल-मुस्तफा इंटरनेशन यूनिवर्सिटी मे आयोजित ईदे मबअस और छात्रों की अम्मामा पोशी के भव्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वह 67 के लिए वर्षों तक इस विद्वतापूर्ण वेश में उन्होंने कहा कि विद्वान बनने के लिए विद्वता के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले युवक का इस विधा को चुनने से पहले एक अंतिम लक्ष्य होना चाहिए, एक छात्र जो अन्य देशों से ईरान आया और पढ़कर अपनी भूमि पर लौट आया वर्षों तक वह अपने कर्तव्यों से परिचित रहे क्योंकि अब से वही लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने का मार्ग दिखायेगा।
मशहद मुकद्दिस में वली फकीह के प्रतिनिधि ने उनके वर्षों के अध्ययन, अनुभव और इस संबंध में उनकी सफलता के रहस्य का उल्लेख किया और कहा: "विद्वानों की पोशाक, उन लोगों की पोशाक जो इमाम अल-ज़माना (अ.स.) और नौकरों की सेवा करते हैं हज़रत (अ.स.) की इस तालीम और तालीम का मक़सद इल्म हासिल करना और इमाम अल-ज़माना (अ.स.) की ख़ुशी हासिल करना है, तो आप जितना अच्छा पढ़ेंगे, इमाम अल-ज़माना (अ.स.) की उतनी ही बेहतर सेवा कर सकेंगे।
स्नातक करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आज से हर जगह लोग आपको इसी पोशाक में देखेंगे। यह पोशाक इमाम अल-ज़माना (एएस) की सेवा का प्रतीक है। आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आप इमाम अल-ज़माना (अ.स.) से जुड़े हुए हैं, इसीलिए लोग आपको संदर्भित करते हैं।
गौरतलब है कि इस आयोजन में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश और नाइजीरिया के 23 छात्रों ने आयतुल्लाह सय्यद अहमद अलम उल-हुदा के आशीर्वाद से स्नातक किया है।