हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत मुहम्मदे मुस्तफ़ा स.ल.व.व. ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
اَللّهُمَّ وَفِّقْني فيہ لِمُوافَقَة الْأبرارِ وَجَنِّبْني فيہ مُرافَقَۃ الأشرارِ وَآوني فيہ برَحمَتِكَ إلى دارِ القَرارِ بإلهيَّتِكَ يا إله العالمينَ.
अल्लाह हुम्मा वफ़्फ़िक़नी फ़ीहि ले मुवाफ़क़तिल अबरार, व जन्निबनी फ़ीहि मुराफ़क़तल अशरार, व आविनी फ़ीहि बे रहमतिका इला दारिल क़रार, बे इलाहिय्यतिका या इलाहल आलमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! मुझे इस महीने में नेक बन्दों का साथ देने और उनके हमराह होने की तौफ़ीक़ दे और अशरारों (फ़ित्नाबाज़ों) की दोस्ती से महफ़ूज़ फ़रमा, और अपनी रहमत से सुकून के घर में मुझे पनाह दे, अपनी रुबूबियत के वास्ते से, ऐ आलमीन के मालिक.