हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत मुहम्मदे मुस्तफ़ा स.ल.व.व. ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
اَللّهُمَّ اجْعَلني فيہ مِنَ المُتَوَكِلينَ عَلَيْكَ وَاجْعَلني فيہ مِنَ الفائِزينَ لَدَيْكَ وَاجعَلني فيه مِنَ المُقَرَّبينَ اِليكَ بِاِحْسانِكَ يا غايَةَ الطّالبينَ.
अल्लाह हुम्मज अल नी फ़ीहि मिनल मुतवक्किलीना अलैक, वज अलनी फ़ीहि मिनल फ़ाएज़ीना लदैक, वज अलनी फ़ीहि मिनल मुक़र्रिबीना इलैक, बे एहसानिका या ग़ायतल तालिबीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली )
ख़ुदाया! मुझे आज उन लोगों में क़रार दे जो तुझ पर भरोसा करें, तेरी बारगाह में कामयाब हों और तेरे मुक़र्रब बन्दे हों, अपने एहसान से, ऐ तलबगारों की इंतहा.