हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के उप प्रमुख सालेह अल-अरुरी ने दुनिया भर के सभी मुसलमानों, अरबों और फिलिस्तीनियों से इस संघर्ष में अपनी भूमिका निभाने की अपील की।
महत्वपूर्ण बात यह है कि मुसलमानों के लिए तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल अल-अक्सा मस्जिद को इस्लामी-फिलिस्तीनी पहचान के केंद्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है, और ज़ायोनी शासन इस पवित्र मस्जिद को नष्ट करना चाहता है।
ज़ायोनी सरकार लंबे समय से इस्लाम के इस प्रतीक को ख़त्म करना चाहती है, लेकिन फ़िलिस्तीनी लोगों की दृढ़ता और सतर्कता ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया है।
सालेह अल-अरुरी ने कहा कि फ़िलिस्तीनी लोगों और मुसलमानों की आस्थाओं की रक्षा करना अपमान नहीं बल्कि गर्व की बात है, क्योंकि ज़ायोनी शासन के अत्याचारों ने इस भूमि के निवासियों को विरोध करने के लिए मजबूर किया है।
उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिरोध के साथ टकराव से ज़ायोनी शासन के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।