۶ تیر ۱۴۰۳ |۱۹ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jun 26, 2024
हज

हौज़ा / सुप्रीम लीडर ने हाजियों को एक अहम पैगाम दिया है इस साल बराअत हज के मौसम और हज की ‘मीक़ात’ से आगे बढ़कर पूरी दुनिया के सभी मुसलमान मुल्कों और शहरों में जारी रहनी चाहिए यह सिर्फ़ हाजियों तक सीमित न रहे बल्कि हर शख़्स इसे अंजाम दे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हाजियों को एक अहम पैगाम दिया है हज पर जाने वालों के नाम यह पैग़ामः

बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम

सारी तारीफ़ कायनात के मालिक के लिए और दुरूद व सलाम हो कायनात की सबसे अच्छी हस्ती हमारे सरदार मोहम्मद मुस्तफ़ा और उनकी पाक नस्ल, चुने हुए साथियों और नेकी में उनका अनुपालन करने वालों पर क़यामत तक के लिए।

मन को आनंदित करने वाली हज़रत इब्राहीम की आवाज़# ने, जो अल्लाह के हुक्म से हर दौर के सभी मुसलमानों को हज के मौक़े पर काबे# की ओर बुलाती है, इस साल भी पूरी दुनिया के बहुत से मुसलमानों के दिलों को तौहीद व एकता के इस केन्द्र की ओर सम्मोहित कर दिया है, लोगों की इस शानदार व विविधता से भरी सभा को वजूद प्रदान किया है और इस्लाम के मानव संसाधन की व्यापकता और उसके आध्यात्मिक पहलू की ताक़त को अपनों और ग़ैरों के सामने नुमायां कर दिया है।

हज के विशाल समूह और इसकी जटिल क्रियाओं को जब भी ग़ौर व फ़िक्र की नज़र से देखा जाए, वह मुसलमानों के लिए दिल की मज़बूती और इत्मेनान का स्रोत है और दुश्मन व बुरा चाहने वालों के लिए ख़ौफ़, भय व रोब का सबब हैं।

अगर इस्लामी जगत के दुश्मन व बुरा चाहने वाले, हज के फ़रीज़े के इन दोनों पहलुओं को ख़राब करने और उन्हें संदिग्ध बनाने की कोशिश करें, चाहे धार्मिक व राजनैतिक मतभेदों को बड़ा दिखाकर और चाहे इनके पाकीज़ा व आध्यात्मिक पहलुओं को कम करके, तो हैरत की बात नहीं है।

क़ुरआन मजीद हज को बंदगी, ज़िक्र और विनम्रता का प्रतीक, इंसानों की समान प्रतिष्ठा का प्रतीक, इंसान की भौतिक व आध्यात्मिक ज़िंदगी की बेहतरी का प्रतीक, बरकत व मार्गदर्शन का प्रतीक, अख़लाक़ी सुकून और भाइयों के बीच व्यवहारिक मेल-जोल का प्रतीक और दुश्मनों के मुक़ाबले में ‘बराअत’ और बेज़ारी तथा ताक़तवर मोर्चाबंदी का प्रतीक बताता है।

हज के बारे में क़ुरआन की आयतों पर ग़ौर व फ़िक्र और इस बेनज़ीर फ़रीज़े की क्रियाओं पर चिंतन, इन चीज़ों और हज की जटिल क्रियाओं के इन्हीं जैसे रहस्यों को हम पर ज़ाहिर कर देता है।

हज अदा करने वाले आप भाई और बहन इस वक़्त इन रौशन हक़ीक़तों और शिक्षाओं के अभ्यास के मैदान में हैं। अपनी सोच और अपने अमल को इसके क़रीब से क़रीबतर कीजिए और इन उच्च अर्थों से मिश्रित और नए सिरे से हासिल हुयी पहचान के साथ घर आइये। यह आपके हज के सफ़र की हक़ीक़ी व मूल्यवान सौग़ात है।

इस साल ‘बराअत’ का विषय, विगत से ज़्यादा नुमायां है। ग़ज़ा की त्रासदी ऐसी है कि हमारे समकालीन इतिहास में इस जैसी कोई और त्रासदी नहीं है और बेरहम व संगदिल तथा बर्बरता की प्रतीक और साथ ही पतन की ओर बढ़ रही ज़ायोनी सरकार की गुस्ताख़ियों ने किसी भी मुसलमान शख़्स, संगठन, सरकार और संप्रदाय के लिए किसी भी तरह की रवादारी की गुंजाइश नहीं छोड़ी है।

इस साल ‘बराअत’ हज के मौसम और हज की ‘मीक़ात’ से आगे बढ़कर पूरी दुनिया के सभी मुसलमान मुल्कों और शहरों में जारी रहनी चाहिए। यह सिर्फ़ हाजियों तक सीमित न रहे बल्कि हर शख़्स इसे अंजाम दे।

ज़ायोनी सरकार और उसके मददगारों ख़ास तौर पर अमरीकी सरकार से यह ‘बराअत’ क़ौमों और सरकारों के अमल और बयान में नज़र आनी चाहिए और जल्लादों का जीना हराम कर देना चाहिए।

फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के साबिर व मज़लूम अवाम के फ़ौलादी प्रतिरोध को, जिनके सब्र और दृढ़ता ने दुनिया को उनकी तारीफ़ और सम्मान पर मजबूर कर दिया है, हर ओर से सपोर्ट मिलना चाहिए।

अल्लाह से उनके लिए पूरी और तत्काल फ़तह की कामना करता हूं और आप आदरणीय हाजियों के लिए, हज के क़ुबूल होने की दुआ करता हूं। हज़रत इमाम महदी (हमारी जान उन पर क़ुरबान) की दुआ जो क़ुबूलशुदा है, आपकी मददगार रहे।

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