۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
ابو القاسم رضوی

हौज़ा / मेलबर्न के इमाम जुमा  हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद अबुल कासिम रिज़वी के क़ुम आगमन पर जामिया इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) (नजफ़ी हाउस) के छात्रो के साथ एक विस्तृत बैठक हुई जिसमे मौलाना ने हालात हाज़ेरा, अंदाज़ खिताबत, तबलीग की ज़रूरत और उसके तरीकों पर चर्चा की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम अल-मुकद्देसा मे  हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अबुल कासिम रिज़वी के आगमन पर जमीयत अल-इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) (नजफ़ी हाउस) के छात्रो के साथ एक विस्तृत बैठक हुई जिसमे मौलाना ने हालात हाज़ेरा, अंदाज़ खिताबत, तबलीग की ज़रूरत और उसके तरीकों पर चर्चा की।

मिलबर्न के इमाम जुमा ने कहा: उपदेशक (मुबल्लिग) को समय और परिस्थितियों के अनुसार खुद को तैयार करना चाहिए और नैतिकता और ईमानदारी के साथ इस महान जिम्मेदारी को निभाना चाहिए, साथ ही पूर्ण महारत हासिल किए बिना किसी भी शैक्षणिक विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए।

मेलबर्न के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम सय्दय अबुल कासिम रिज़वी की जामिया इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) के छात्रों के साथ मुलाक़ात

उन्होंने अपने उपदेश संबंधी अनुभवों के बारे में बात करते हुए एक महत्वपूर्ण बात बताई और कहा: एक उपदेशक की जिम्मेदारी श्रोताओं के ज्ञान के स्तर को ऊपर उठाना है, श्रोताओं के ज्ञान के स्तर के अनुसार बोलना है, और साथ ही वह ऐसा करता है। इस तरह से बोलना चाहिए कि श्रोताओं के ज्ञान का स्तर ऊंचा हो, जिससे मिंबर की गरीमा बनी रहे।

मौलाना अबुल कासिम रिज़वी ने कहा: हमारी मजलिस लोगों के लिए शिक्षा का स्थान होनी चाहिए, जहां लोग आए तो कुछ संदेश लेकर जाए, लेकिन इस समय कुछ मजलिसों की गुणवत्ता इतनी गिर गई है कि उनमें कोई संदेश नही होता और लोग केवल सवाब के उद्देश्य से शिरकत करते हैं। उन्हे कोई संदेश नही मिलता और ना ही उनका ज्ञान बढ़ता है।

बैठक के अंत में, उन्होंने जामीया इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) के छात्रों के शैक्षणिक प्रयासों और सेवाओं के लिए अपनी खुशी व्यक्त की और प्रार्थनापूर्ण शब्दों के साथ मुलाक़ात का समापन किया।

बैठक के अंत में, जामीया इमाम अमीरुल-मोमिनीन (अ) के छात्रो ने हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी की सेवा में उनकी चचेरी बहन ज़ेबा फातिमा बिन्त सय्यद मसूद अल-हसन के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए मुत़का के बुलंदी ए दरजात के लिए दुआ की।

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