۱۸ تیر ۱۴۰۳ |۱ محرم ۱۴۴۶ | Jul 8, 2024
इराक

हौज़ा/इराक़ के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ़ के प्रवक्ता ने इराक़ से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए बग़दाद और वाशिंगटन के बीच बातचीत होने की सूचना दी है।  

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इराक़ के सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ़ के प्रवक्ता जनरल यहिया रसूल ने कहा कि इराक़ की सर्वोच्च सैन्य समिति ने सैन्य स्थिति का आकलन करने और इराक़ी सशस्त्र बलों का वातावरण और क्षमताओं को परखने के लिए 11 फरवरी से बग़दाद में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन  के सैनिकों के साथ अपनी बैठकें फिर से शुरू कीं।

इराक़ के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ के प्रवक्ता ने कहा कि इन बैठकों के आधार पर इन बलों के मिशन को अंततः समाप्त करने के लिए अमेरिकी बलों की गणना और क्रमिक कमी के लिए एक समय सारिणी निर्धारित की जाएगी और जब तक इन बैठकों में कोई घटना से व्यवधान उत्पन्न नहीं होता है, वार्ता नियमित आधार पर जारी रहेंगी और इस समिति को सौंपे गए कार्य को यथाशीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

इराक़ के प्रधान मंत्री मोहम्मद शीयाअ अल-सूदानी ने पहले एक बयान में एलान किया था कि वह इराक़ में अमेरिकी सैन्य गठबंधन के मिशन को समाप्त करने के लिए इराक़ और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय वार्ता के पहले दौर की शुरुआत का समर्थन करते हैं जो जनवरी 2024 में आयोजित की गई थी।

प्रतिरोधकर्ता गुटों के ठिकानों पर हमले और पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन ऑर्गनाइजेशन के कमांडरों की हत्या में अमेरिकियों के अपराधों के बाद, अमेरिकी सेना और विदेशी सेनाओं का निष्कासन, इराक़ की जनता, राजनेताओं और धार्मिक हस्तियों की मुख्य मांग बन गयी है।

हालिया वर्षों के दौरान इराक़ सरकार और सांसदों के साथ देश के राजनैतिक दलों और पार्टियों तथा राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने देश से अमेरिकी और अन्य विदेशी सैनिकों की वापसी पर ज़ोर दिया है।

इराक़ सरकार और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच नए दौर की वार्ता में महत्वपूर्ण मुद्दा अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कार्यक्रम निर्धारित करना है जिससे प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।

इराक़ह अधिकारियों ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया है कि इराक़ में अमेरिकी सैनिकों की निरंतर उपस्थिति से इस देश में अस्थिरता और असुरक्षा बढ़ेगी।

प्रतिरोधकर्ता गुटों के ठिकानों पर हमले में अमेरिकी सेना की आतंकवादी कार्रवाइयों और इन गुटों के कमांडरों की शहादत के परिणामस्वरूप इराक़ में अमेरिकी सेना की कार्रवाइयों के प्रति जनता में घृणा और गुस्सा बढ़ गया है।

अमेरिकी सेना की मौजूदगी और 2003 से इराक पर क़ब्ज़े के कारण हजारों नागरिकों की मौत हुई जबकि हज़ारों लोग घायल भी हुए और साथ ही देश के आर्थिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है।

बातचीत को आगे बढ़ाने और अमेरिकी सेना की शीघ्र वापसी पर जोर देने की इराक़ सरकार की कार्रवाई, क्षेत्र के अन्य देशों और सरकारों के लिए भी एक मॉडल हो सकती है कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विदेशियों पर भरोसा न करें और स्वतंत्रता व स्वाधीनता बनाए रखें और स्थिरता और सुरक्षा बनाने के प्रयास के लिए आंतरिक बलों और क्षेत्रीय सहयोग का प्रयोग करें।

इन सबके बावजूद अमेरिकियों सहित विदेशी सेनाएं केवल तनाव और संकट ही पैदा करती हैं और इससे केवल अस्थिरता बढ़ती है और आतंकवादी गुटों की गतिविधियों और विनाशकारी कार्यों के लिए आधार तैयार होता है।

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