हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,वहाबियों ने मादीन पर हमला करते हुए यहाँ भी जमकर लूटपाट मचाई और शहर को तबाह करने के बाद नजफ़ का रुख किया लेकिन यहाँ कड़े प्रतिरोध के बाद नाकाम रहे। इन्होने रसूले इस्लाम की वालिदा की क़ब्र को भी नहीं छोड़ा और रसूले इस्लाम के रौज़े को भी ढहा दिए।
अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के सेक्रेटरी जनरल आयतुल्लाह रमज़ानी ने क़ुम शहर में असेंबली के कर्मचारियों और नमाज़ियों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आठ शव्वाल, बक़ी में इमामों की कब्रों की ताराजी की सालगिरह, इतिहास की एक तल्ख और कड़वी सच्चाई एवं बेहद महत्वपूर्ण दिन है।
आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा: 1915 में भी, वहाबियों ने जन्नतुल बक़ी को नष्ट करने की कोशिश की और उनके एक हिस्से को नष्ट कर दिया, था लेकिन ओटोमन्स ने उन्हें हरा दिया, और मुसलमानों ने बकी के दरबारों को फिर से बनाया, लेकिन 22 साल बाद फिर से वहाबियों ने अपनी शक्ति को संगठित किया और ब्रिटेन आदि देशों के साथ समझौते के बाद बक़ी पर फिर से हमला किया,
उसमें तोड़फोड़ की और जन्नतुल बक़ी को तराज करते हुए यहाँ मौजूद मासूम इमामों की कब्रों को नष्ट करते हुए इतिहास को कलंकित किया। वहाबियों ने कर्बला पर हमला करते हुए यहाँ भी जमकर लूटपाट मचाई और शहर को तबाह करने के बाद नजफ़ का रुख किया लेकिन यहाँ कड़े प्रतिरोध के बाद नाकाम रहे।
इन्होने रसूले इस्लाम की वालिदा की क़ब्र को भी नहीं छोड़ा और रसूले इस्लाम के रौज़े को भी ढहाने के लिए तैयार थे लेकिन कुछ कारणों से इस में कामयाब नहीं हो सके।
आयतुल्लाह रमज़ानी ने कहा कि बक़ी और यहाँ मौजूद अइम्मा की कब्रों का जीर्णोद्धार इस्लामी जगत का साझा मुद्दा है। मुझे उम्मीद है कि दुनियाभर के मुसलमान इस नतीजे पर पहुंचेंगे और यहाँ आलिशान रौज़ों और गुंबदों का पुनर्निर्माण करेंगे।