۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
بقیع

हौज़ा/ हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत के अवसर पर अल-बक़ीअ संगठन शिकागो, अमेरिका द्वारा मौलाना महबूब महदी आब्दी नजफ़ी की अध्यक्षता में ज़ूम के माध्यम से एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें वरिष्ठ विद्वान शामिल हुए विभिन्न देशों और बुद्धिजीवियों ने सऊदी सरकार से जन्नत-उल-बक़ी के निर्माण की मांग की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत इमाम जाफ़र सादिक (अ) की शहादत के संबंध में, अल-बक़ीअ संगठन शिकागो, यूएसए द्वारा मौलाना महबूब महदी आब्दी की अध्यक्षता में ज़ूम के माध्यम से एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। नजफ़ी, जिसमें विभिन्न देशों के वरिष्ठ विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने सऊदी सरकार से जन्नत अल-बक़ी के निर्माण की मांग की।

इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अल-बकीअ संगठन के प्रमुख, प्रख्यात धार्मिक विद्वान और पवित्र कुरान के टिप्पणीकार मौलाना सैयद महबूब महदी आब्दी नजफी ने कहा कि एसएनएन चैनल के माध्यम से कुछ साल पहले शुरू हुए आंदोलन का प्रभाव बक़ीअ का निर्माण करें। यह पूरे भारत में दिखाई दे रहा है। इस वर्ष बक़ीअ के लिए पूरे भारत में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ, खासकर मुंब्रा (मुंबई) शहर में इसका दायरा बढ़ गया है क्योंकि पहले यह विरोध केवल शव्वाल की आठवीं तारीख को होता था और सीमित क्षेत्रों में जो लोग कहते हैं कि बक़ीअ के निर्माण के लिए आंदोलन चलाने की ज़रूरत है, उन्हें पता होना चाहिए कि यह आंदोलन ज़ालिमों को मार गिराएगा।

दोहा, कतर से आये लेखक, चिंतक एवं शायर श्री इकबाल रिज़वी शारिब ने बारगाह इस्मत व तहारत में अकीदत पेश करते हुए कहा।

दौरे आलम मुस्तफा ये नूरे चशमे मुस्तफा

मुरसले आज़म के घर में रोशनी ज़हरा से है

आशिक़ी का कौन सा यह रूप है मेरे ख़ुदा?

इश्क़े अहमद लब पे है और दुश्मनी ज़हरा से है

अमेरिका के प्रतिष्ठित धार्मिक विद्वान मौलाना सैयद नफीस हैदर तकवी ने इस्लामी जगत को संबोधित करते हुए कहा कि चंद्र कैलेंडर के अनुसार बकीअ के मजारों को ध्वस्त किए हुए सौ साल हो गए हैं और अब सौ साल पूरे होने वाले हैं। ईस्वी सन्, लेकिन अफ़सोस, अभी तक बक़ीअ की दरगाह नहीं बन पाई है, इसलिए अब समय आ गया है कि सभी मुसलमान इस आंदोलन में हमारा साथ दें ताकि वहाँ एक खूबसूरत दरगाह बनाई जा सके।

अफ्रीका के प्रसिद्ध देश तंजानिया की राजधानी दार अस सलाम के सक्रिय और क्रांतिकारी विद्वान मौलाना सैयद अदील रज़ा आबिदी ने कहा कि जन्नत-उल-बक़ीअ का आंदोलन किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह आंदोलन वैश्विक बन गया है। ईश्वर ने चाहा तो हमें इस मामले में जल्द ही सफलता मिलेगी।

विश्वविख्यात खतीब मौलाना वसी हसन खां ने बड़े ही मनमोहक अंदाज में भाषण देते हुए कहा कि दफन किये गये लोगों पर कल भी जुल्म होता था और आज भी जुल्म हो रहा है, कब्र तो बन सकती है, लेकिन पैगम्बर साहब की कब्र पर आज भी जुल्म हो रहा हैं ।

हमेशा की तरह, अंतिम वक्ता के रूप में मौलाना असलम रिज़वी ने कहा कि बकीअ के आंदोलन को जारी रखने का सवाब कर्बला के शहीदों के दुखों को याद करने के समान है, क्योंकि दोनों जगहों पर जो आम है वह अहले-बैत (अ) का उत्पीड़न है।

मौलाना अली अब्बास वफ़ा साहब ने निज़ामत की रस्म अदा की, जबकि कॉन्फ्रेंस का समापन मौलाना असलम रिज़वी की दुआओं के साथ हुआ।

सम्मेलन का एसएनएन चैनल, इमाम असर ऑफिशियल औरंगाबाद और अन्य चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया।

अंत में अल बकीअ संगठन के प्रमुख मौलाना सैयद महबूब महदी आब्दी नजफी ने वक्ताओं को धन्यवाद दिया।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .