۳۱ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۲ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 20, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में चश्मे बद की हकीकत को बयांन किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा " पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैं।

:قال امیرالمؤمنين علیه السلام

الْعَيْنُ حَقٌّ، وَ الرُّقَى حَقٌّ، وَ السِّحْرُ حَقٌّ، وَ الْفَأْلُ حَقٌّ؛ وَ الطِّيَرَةُ لَيْسَتْ بِحَقٍّ، وَ الْعَدْوَى لَيْسَتْ بِحَقٍّ؛ وَ الطِّيبُ نُشْرَةٌ، وَ الْعَسَلُ نُشْرَةٌ، وَ الرُّكُوبُ نُشْرَةٌ، وَ النَّظَرُ إِلَى الْخُضْرَةِ نُشْرَةٌ

हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:

चश्में बद,अफ्सु, सहर जादू, और फाल नेक इन सब में हकीकत हैं,लेकिन फाल बद और और एक आदमी की बीमारी का दूसरे को लग जाना गलत है,खुशबू सुगना, शहद खाना, सवारी करना,और सबज़े(हारी) पर नज़र करना,ग़म व मुसीबत को दूर करता हैं।

नहजुल बलाग़ा,हिक्मत नं 400

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