۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
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हौज़ा / ईरान के राष्ट्रपति शहीद आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी का जन्म दिसम्बर 1960 में पवित्र नगर मशहद शहर के नौग़ान मोहल्ले में एक धार्मिक परिवार में हुआ,उनके पिता हुज्जतुल इस्लाम सैयद हाजी रईस अलसदाती और उनकी मां सैयदा इस्मत ख़ुदादाद हुसैनी थीं और दोनों तरफ से ही वह पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज हज़रत ज़ैद बिन अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति शहीद आयतुल्लाह सय्यद इब्राहीम रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल बाद तक वह इस पद पर रहे।

सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी का जन्म दिसम्बर 1960 में पवित्र नगर मशहद शहर के नौग़ान मोहल्ले में एक धार्मिक परिवार में हुआ था।

 उनके पिता हुज्जतुल इस्लाम सैयद हाजी रईस अल-सदाती और उनकी मां सैयदा इस्मत ख़ुदादाद हुसैनी थीं और दोनों तरफ से ही वह पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज हज़रत ज़ैद बिन अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।

सैयद रईसी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा जावदिया स्कूल से पूरी की और 1975 में वह अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए क़ुम के धार्मिक शिक्षा केन्द्र की ओर रवाना हो गये और कुछ समय तक उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के रिश्तेदारों में से एक द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ना शुरु किया।

इमाम ख़ुमैनी के डिफ़ेंस में:

17 जून 1978 को पहलवी शाही शासन से संबद्ध दैनिक समाचार पत्र में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के अपमान और अमेरिका पर निर्भर इस शासन के खिलाफ लोकप्रिय आंदोलनों की शुरुआत हुई जिनमें मुख्य चेहरा सैयद रईसी का था। सैयद इब्राहीम रईसी क्रांतिकारी छात्रों में अहम रूप से सक्रिय थे।

इस अवधि के दौरान, सैयद इब्राहीम रईसी ने जेल से या निर्वासन में रिहा किए गए क्रांतिकारी विद्वानों के साथ संपर्क किया और अपनी प्रचार गतिविधियों को आगे बढ़ाया। तेहरान विश्वविद्यालय में विद्वानों और धर्मगुरुओं के धरने जैसी सभाओं में भी उन्होंने भाग लिया।

इस्लामी क्रांति:

इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद सैयद रईसी ने इस्लामी व्यवस्था की प्रबंधन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्टाफ़ तैयार करने और मार्क्सवादी विद्रोहों और मस्जिदे सुलेमान शहर में विभिन्न समस्याओं पर लगाम लगाने के एक विशेष प्रशिक्षण क्लास में भाग लिया।

मस्जिदे सुलेमान शहर से लौटने के बाद, उन्होंने शाहरूद शहर में शैक्षिक बैरक 02 के राजनीतिक-वैचारिक परिसर की स्थापना की और थोड़े समय के लिए इसका प्रबंधन ख़ुद अपने हाथ में ही रखा।

प्रबंधन क्षेत्र में सैयद रईसी का प्रवेश 1980 में शुरू हुआ जब वह तेहरान से लगे शहर करज के जिला अटॉर्नी के पद पर थे और कुछ समय बाद शहीद क़ुद्दूसी के आदेश से उन्हें करज के ज़िला अटॉर्नी के पद पर नियुक्त किया गया।

दो वर्ष बाद 1982 की गर्मियों में, सैयद इब्राहीम रईसी ने करज शहर अटार्नी जनरल की ज़िम्मेदारी संभालते हुए हमदान के अटार्नी जनरल का कार्यभार संभाल लिया और 1984 तक इस पद पर कार्यरत रहे।

1985  में सैयद रईसी को तेहरान की क्रांति के न्यायालय के डिप्टी एटार्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया और इस तरह उनका न्यायिक प्रबंधन का दौर शुरू हुआ।

जटिल न्यायिक मामलों को सुलझाने में सैयद रईसी की सफलता के बाद, इमाम ख़ुमैनी रहमुल्लाह अलैह ने एक विशेष आर्डर के ज़रिए उन्हें और हुज्जतुल इस्लाम नैय्यरी को लुरिस्तान, किरमानशाह और सेमनान सहित कुछ प्रांतों में सामाजिक समस्याओं से निपटने का काम सौंपा।

फ़िक़्ह और क़ानून के विषय में अपना शोध पूरा करके वह धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उच्चतम स्तर की डिग्री (फ़ोर्थ ग्रेड) प्राप्त करने में सफल रहे और आख़िर में उन्होंने डाक्ट्रेट के थीसेज़ लिखे जिसका शीर्षक था (फ़िक़्ह और कानून में अस्ल और ज़ाहिर के बीच टकराव) और बेहतरीन नंबरों से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।

एटार्नी जनरल सर:

1989  में इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की मृत्यु के बाद, सैयद इब्राहीम रईसी को तत्कालीन न्यायपालिका के प्रमुख के आदेश द्वारा तेहरान के एटार्नी जनरल के पद पर नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल पांच वर्ष तक चला।

सैयद रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल तक वह इस पद पर रहे।

सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।

सैयद रईसी के कार्यकाल के दौरान देश के आम निरीक्षण संगठन को एक संतुलित संरचनात्मक विकास का सामना करना पड़ा और इसे इस्लामी गणतंत्र ईरान के पर्यवेक्षी स्तंभों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था।

इस अवधि के दौरान ईरान की बहुत से प्रशासनिक और आर्थिक सिस्टम की कमियों का पता चला और देश की कुछ संस्थाओं में पाए जाने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने का रास्ता तैयार किया गया।

सैयद रईसी 2004 से 2014 तक ईरान की न्यायपालिका के फ़र्स्ट डिप्टी भी थे और 2014 से 2015 तक उन्होंने देश के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी जनता की सेवाएं कीं।

सैयद इब्राहीम रईसी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के आदेश से 2012 से 2021 तक धर्मगुरुओं के विशेष एटार्नी जनरल के पद पर भी रहे।

इसके अलावा, मार्च 2016 में, इमाम खामेनेई के आदेश से सैयद रईसी को तीन साल के लिए हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े का मुख्य मुतवल्ली और प्रभारी नियुक्त किया गया और इस अवधि के दौरान उन्होंने तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की जमकर सेवाएं कीं और वंचितों की मदद के लिए बहुत सारे मूल्यवान कार्य किए।

न्यायपालिका प्रमुख से लेकर राष्ट्रपति पद तक:

7  मार्च, 2019 को, सैयद इब्राहीम रईसी को क्रांति के सर्वोच्च नेता द्वारा ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।

सैयद रईसी के राष्ट्रपति काल के दौरान न्यायिक व्यवस्था में काफ़ी निखार आ गया और उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान की व्यवस्था में इस संस्था का स्तर बहुत ऊंचा उठा दिया।

सैयद रईसी ने क्षेत्रीय प्रबंधन और लोगों की न्यायिक समस्याओं का जल्द निरवारण, आर्थिक भ्रष्टाचारियों से निर्णायक और समझौता न करने, न्यायिक व्यवस्था में सुधार के दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करने के साथ ईरान की न्यायिक व्यवस्था को आगे बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर कदम उठाए यहां तक कि न्यायपालिका को और अधिक स्मार्ट बनाने की वजह से क्रांति के सर्वोच्च नेता ने तारीफ़ भी की और इससे जनता के दिलों में आशा पैदा करने वाला क़रार दिया था।

  2021 में, सैयद इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति पद के 13वें चुनाव में भाग लिया और 18 जून 2021 को 18 मिलियन से अधिक वोटों से जीतकर देश के राष्ट्रपति बने।

इसके अलावा, राष्ट्रपति सैयद रईसी 1402 हिजरी शम्सी में गार्जियन काउंसिल के छठे कार्यकाल के चुनाव में 82.57 प्रतिशत वोटों से जीतकर तीसरी बार गार्जियन काउंसिल के प्रमुख बने।

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