हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी की सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ में आयोजित इस्लामी और अरब देशों की संयुक्त बैठक में ईरानी राष्ट्रपति द्वारा दिया गया भाषण और उठाई गई मांगे सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय बनी हुई हैं। साथ ही राष्ट्रपति रईसी ने सऊदी अरब के युवराज समेत कई देशों के नेताओं से मुलाक़ात भी की है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग के संयुक्त आपातकालीन शिखर सम्मेलन के मौक़े पर ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने विभिन्न देशों के प्रमुखों के साथ बैठक में प्रमुखता के साथ ग़ज़्ज़ा संकट को लेकर चर्चा की।
इस अवसर पर ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ एक ख़ास मुलाक़ात में ग़ज़्ज़ा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। बता दें कि तेहरान और रियाज़ के बीच संबंध बहाली के बाद यह पहला मौक़ा था कि जब ईरानी राष्ट्रपति डॉक्टर रईसी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के बीच भेंटवार्ता हुई है।
रियाज़ में तैनात ईरानी राजदूत ने इस महत्वपूर्ण मुलाक़ात के बारे में बताते हुए यह जानकारी दी है कि इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को तेहरान आने का निमंत्रण दिया है।
लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिक़ाती से मुलाक़ात करते ईरानी राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी।
इस बीच सैयद इब्राहीम रईसी ने रियाज़ में अरब लीग की संयुक्त बैठक के दौरान लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिक़ाती से मुलाकात के दौरान कहा कि कुछ लोग, लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रतिरोधक बल ईरान के अधीन हैं, जबकि हमने इस दावे को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि प्रतिरोध समूह मूल्यांकन, निर्णय और कार्यवाही के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
इस बैठक में ईरान के राष्ट्रपति और लेबनान के प्रधानमंत्री ने ग़ज़्ज़ा के लोगों के प्रति दिखाई गई सहानुभूति को अपर्याप्त बताया।
दोनों नेताओं ने ग़ज़्ज़ा की मज़लूम जनता की मदद के लिए व्यावहारिक उपायों पर ज़ोर दिया है। इसी तरह रियाज़ में राष्ट्रपति रईसी ने सूडान की ट्रांज़िशनल काउंसिल के प्रमुख अब्दुल फ़त्ताह बुरहान के साथ बैठक में अवैध ज़ायोनी शासन को इस्लामिक उम्माह और पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी आपदा बताया, उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत सारी समस्याएं हैं जैसे, इस्लामोफ़ोबिया, ईरानफ़ोबिया, इस्लामी जगत और अफ़्रीकी महाद्वीप में अराजकता की जड़ ज़ायोनी शासन ही है।