۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा / ईदे ग़दीर की मुनासेबत से और राष्ट्रपति चुनाव के मौक़े पर अवाम की बड़ी तादाद ने हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की इस मौके पर उन्होंने फरमाया,अवाम की भागीदारी इस्लामी जम्हूरिया की प्रवृत्ति का हिस्सा है अवाम इस्लामी शैली के साथ मैदान में मौजूद रहें जिसका सबसे अहम प्रतीक चुनाव है इसका यह मतलब है कि इस्लामी जम्हूरिया सही अर्थों में लोकतांत्रिक सिस्टम है। 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईदे ग़दीर की मुनासेबत से और राष्ट्रपति चुनाव के मौक़े पर अवाम की बड़ी तादाद ने रहबरे इंक़ेलाब से मुलाक़ात की। 

आयतुल्लाह ख़ामेनेई के ख़िताब के कुछ अहम बिंदुः 

दुनिया के सारे मुसलमानों को ईदे ग़दीर की मुबारकबाद पेश करता हूँ। 

अवाम की भागीदारी इस्लामी जम्हूरिया की प्रवृत्ति का हिस्सा है। अवाम इस्लामी शैली के साथ मैदान में मौजूद रहें जिसका सबसे अहम प्रतीक चुनाव है। इसका यह मतलब है कि इस्लामी जम्हूरिया सही अर्थों में लोकतांत्रिक सिस्टम है। 

आने वाले चुनाव में ईरानी क़ौम की सरबुलंदी दो चीज़ों पर निर्भर है, अधिकतम भागीदारी और सबसे योग्य उम्मीदवार का चयन। बड़ी संख्या में भागीदारी पर हम बहुत ताकीद करते हैं, इसकी वजह यह है कि इसका सबसे अहम नतीजा इस्लामी जम्हूरिया की सरबुलंदी है। 

इस्लामिक रिपब्लिक के दुश्मन हैं। इस्लामिक रिपब्लिक को दुश्मनों पर हावी कर देने वाले कारकों में से एक राष्ट्रपति चुनाव में अवाम की भरपूर शिरकत है।

राष्ट्रपति चुनाव में सबसे योग्य उम्मीवार कौन है? वह जो इस्लामी इंक़ेलाब के उसूलों पर वास्तविक यक़ीन रखता हो, उपयोगी हो, दिन देखे न रात, यह विशेषताएं रखने वाला व्यक्ति देश की सारी क्षमताओं को प्रयोग में ला सकता है।

इस्लामी जम्हूरिया ईरान अल्लाह के करम से अब तक साबित कर चुका है कि ग़ैरों की मदद के बग़ैर, बल्कि उनकी तरफ़ से अड़चनें और रुकावटें डाले जाने के बावजूद प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है और आगे बढ़ा भी है। आइंदा भी ईरानी क़ौम यह अनुमति नहीं देगी कि दूसरे उसके भविष्य का फ़ैसला करें।
 

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