हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मरहूम राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉक्टर सैयद इब्राहीम रईसी के घर पहुंचकर उनके घरवालों से मुलाक़ात की इस मौक़े पर उन्होंने मरहूम राष्ट्रपति को इस्लामी इंक़ेलाब के नारों की मिसाल क़रार दिया और अवाम की ओर से उनके सिलसिले में श्रद्धा के इज़हार को इस्लामी गणराज्य के हक़ में दुनिया के लिए एक पैग़ाम बताया।
इस मुलाक़ात में जिसमें हुज्जतुल इस्लामी वल मुस्लेमीन अलमुल हुदा (मरहूम राष्ट्रपति के ससुर), मरहूम राष्ट्रपति की बीवी मोहतरमा डॉक्टर अलमुल हुदा और दूसरे घरवाले मौजूद थे, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मरहूम रईसी की मौत को मुल्क के लिए बहुत बड़ा नुक़सान बताया जिसकी क्षतिपूर्ति मुमकिन नहीं है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने राष्ट्रपति की शवयात्रा के जुलूस में अवाम की बड़ी तादाद में शिरकत को, जो इस मौक़े पर तेहरान आने वाले विदेशी मेहमानों की नज़रों के आकर्षण का केन्द्र बनी, इस्लामी गणराज्य के हक़ में दुनिया के लिए एक ऐसा पैग़ाम बताया जिसने इस्लामी गणराज्य के जनाधार और ताक़त को प्रदर्शित कर दिया, ऐसी ताक़त जिसकी जड़े ईरानी समाज और क़ौम की गहराइयों तक फैली हुयी हैं।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि मरहूम राष्ट्रपति की ख़ुलूस से भरी सेवा, उनकी ज़िंदगी तक सीमित नहीं हैं, कहा कि जनाब रईसी ने अपनी ज़िंदगी के बाद भी मुल्क की मूल्यवान सेवा की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह दुर्घटना के बाद मुख़्तलिफ़ शहरों में अवाम की ओर से मोहब्बत व श्रद्धा के इज़हार की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सभाएं जो राष्ट्रपति की सलामती की दुआओं और मजलिसों की थीं, इंक़ेलाब और इस्लामी इंक़ेलाब के नारों से अवाम के लगाव को ज़ाहिर करती हैं।
उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि मरहूम रईसी, इस्लामी इंक़ेलाब के नारों का प्रतीक थे, कहा कि इंक़ेलाब की अस्ल बातें, राष्ट्रपति की ज़बान से जारी होती थीं और उन्होंने उन नारों को अपने नारे क़रार दे रखा था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस मुलाक़ात के आख़िर में अल्लाह से हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रईसी के लिए मग़फ़ेरत की दुआ के साथ ही उनके परिजनों के लिए सब्र की दुआ की।